भगवद गीता, धर्म और अध्यात्म के क्षेत्र में एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इस ग्रंथ में जीवन के हर पहलू पर विस्तृत चर्चा की गई है, जिसमें आहार भी शामिल है। गीता के अनुसार, कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे हैं जो न केवल हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि हमारी आयु को भी कम कर सकते हैं।
गीता के अनुसार ये हैं वे 4 भोजन जो अकाल मृत्यु का कारण बन सकते हैं:
रात्रि का भोजन: गीता में कहा गया है कि रात को सोने से कुछ घंटे पहले भोजन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। रात के भोजन से शरीर में अग्नि कमजोर होती है और पाचन क्रिया प्रभावित होती है।
अतिरिक्त भोजन: अधिक मात्रा में भोजन करना भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इससे मोटापा, पाचन संबंधी समस्याएं और कई अन्य बीमारियां हो सकती हैं।
बासी भोजन: बासी भोजन में कई तरह के बैक्टीरिया और विषाक्त पदार्थ होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
अशुद्ध भोजन: अशुद्ध या दूषित भोजन से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।
आयुर्वेद का भी यही कहना है
आयुर्वेद भी गीता के इस सिद्धांत का समर्थन करता है। आयुर्वेद के अनुसार, रात का भोजन हल्का होना चाहिए और सोने से कम से कम 3 घंटे पहले कर लेना चाहिए। अतिरिक्त भोजन, बासी भोजन और अशुद्ध भोजन से शरीर में विषाक्त पदार्थ जमा होते हैं जो कई तरह की बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
आज के समय में भी प्रासंगिक
आज के समय में जब लोग फास्ट फूड और जंक फूड का अधिक से अधिक सेवन करते हैं, गीता के ये सिद्धांत और भी अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं। इन खाद्य पदार्थों में कैलोरी की मात्रा अधिक होती है और पोषक तत्वों की कमी होती है। इसके अलावा, इनमें कई तरह के रसायन और संरक्षक भी होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।