कासगंज, उत्तर प्रदेश - कासगंज जिले के सोरों थाना क्षेत्र के सलेमपुर वीवी गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना घटी, जहां एक दलित युवक ने पुलिस की पिटाई और सार्वजनिक अपमान से आहत होकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक की पहचान रमेश के रूप में हुई है, जो खेती-किसानी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करता था।
रमेश की पत्नी रामरती ने बताया कि घटना रविवार रात की है जब उनके पति गांव में आयोजित रामलीला देखने गए थे। वहां खाली पड़ी एक कुर्सी पर बैठने पर रामलीला के पदाधिकारियों ने आपत्ति जताई और मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों से उनकी पिटाई करवाई। रमेश को गमछा पकड़कर जमीन पर गिराया गया और पैरों से बुरी तरह पीटा गया। रमेश को जातिसूचक गालियां भी दी गईं, जिससे उन्हें गहरा मानसिक आघात पहुंचा।
कासगंज : रामलीला को देखने गया दलित युवक को किया बेइज्जत , लगा ली फांसी
— Ambedkarite People's Voice (@APVNews_) October 7, 2024
यूपी के कासगंज से फिर एक बार जातिवाद का शिकार हो गया
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मृतक की पत्नी ने बताया है कि गांव में होने वाली रामलीला को देखने गए थे जहां उसे कुर्सी पर बैठने पर पुलिस कांस्टेबल ने पीटा और… pic.twitter.com/uP89k6JcJL
पति ने मांगी मदद, लेकिन किसी ने नहीं सुनी फरियाद
रामरती के अनुसार, उनके पति रमेश ने रामलीला स्थल पर कई लोगों से अपनी गलती पूछी और मदद की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की। अपमान और बेइज्जती से आहत होकर रमेश किसी तरह घर लौटे और अपनी पत्नी को पूरी घटना की जानकारी दी। इसके बाद, उन्होंने अपने कमरे में जाकर फांसी लगा ली। सोमवार सुबह जब रामरती कमरे में पहुंचीं, तो उन्होंने अपने पति को फांसी के फंदे पर लटका हुआ पाया।
गांव में तनाव, पुलिस बल तैनात
इस घटना के बाद से गांव में तनाव का माहौल है। स्थानीय लोग और मृतक के परिवार ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। पुलिस को तहरीर दी जा चुकी है, और फिलहाल मामले की जांच की जा रही है। तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए गांव में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
रमेश के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है, और पुलिस सभी पहलुओं की बारीकी से जांच कर रही है। इस घटना ने इलाके में जातिगत भेदभाव और पुलिस की भूमिका को लेकर गहरी नाराजगी पैदा कर दी है, और लोग न्याय की मांग कर रहे हैं।
समाज में जातिगत भेदभाव का एक और दर्दनाक उदाहरण
इस घटना ने एक बार फिर से समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव की समस्या को उजागर किया है। पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की मांग जोर पकड़ रही है।
कासगंज की यह घटना समाज को आत्ममंथन करने के लिए मजबूर करती है कि आखिर कब तक ऐसे भेदभाव और अत्याचार हमारे समाज का हिस्सा बने रहेंगे।