महाराष्ट्र में एक हालिया घटना ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में बहस छेड़ दी है। राजनीतिक विश्लेषक और सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव पर हमला करने की कोशिश की गई, जब वे SC आरक्षण में वर्गीकरण के फायदों पर अपनी राय व्यक्त कर रहे थे। इस घटना की तीव्र निंदा करते हुए, सोशल मीडिया पर क्रांति कुमार ने एक तीखा बयान दिया है।
क्रांति कुमार ने अपने पोस्ट में लिखा, "महाराष्ट्र में योगेंद्र यादव जी SC आरक्षण में बंटवारे के फायदे बता रहे थे। कुछ लोगों ने आकर उनके साथ हिंसा करने की कोशिश की। इस घटना की जितनी निंदा की जाए कम है।"
महाराष्ट्र में योगेंद्र यादव जी SC आरक्षण में बंटवारे के फायदे बता रहे थे. कुछ लोगों ने आकर उनके साथ हिंसा करने की कोशिश की. इस घटना की जितनी निंदा की जाए कम है.
— Kranti Kumar (@KraantiKumar) October 22, 2024
बिना किसी रिसर्च के, बिना किसी अध्ययन के सुप्रीम कोर्ट ने SC आरक्षण में वर्गीकरण करने का फैसला दिया.
और योगेंद्र… pic.twitter.com/H8sR6qcKVB
क्रांति कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि बिना किसी गहन शोध या अध्ययन के SC आरक्षण में वर्गीकरण का निर्णय लिया गया। उन्होंने दावा किया कि योगेंद्र यादव जैसे लोग इस फैसले के लाभ गिनाने लगे हैं, जो वास्तविकता से दूर है। कुमार ने कहा, "राजनीति से ऊपर उठकर कह रहा हूँ, SC आरक्षण में वर्गीकरण इसलिए नहीं किया गया है कि मुसहर, वाल्मीकि आदि जातियों को फायदा मिल सके, बल्कि इसलिए किया गया है कि SC समाज के बीच जो राजनीतिक एकता बनी है, वह टूट जाए।"
उनका मानना है कि यह निर्णय SC समुदाय में मतों के बिखराव का कारण बन सकता है, जिसका नुकसान सीधे तौर पर BSP, RJD, SP और JMM जैसी पार्टियों को होगा, जबकि इसका फायदा BJP और कांग्रेस को होगा।
उन्होंने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट से हमेशा आरक्षण पर हमले होते रहे हैं, और इस बार भी ऐसा ही हुआ है। योगेंद्र यादव को लेकर भी उन्होंने कहा कि "आज तक आरक्षण के मामले में उन्होंने कभी सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को संदिग्ध नहीं माना।"
यह मुद्दा न केवल SC आरक्षण के वर्गीकरण से जुड़ा है, बल्कि इसके गहरे राजनीतिक और सामाजिक निहितार्थ भी हैं। इस घटना ने एक बार फिर से आरक्षण और इसके स्वरूप पर बहस को हवा दी है, और आने वाले दिनों में यह मुद्दा और गरमाता हुआ दिखाई दे सकता है।