हरियाणा, महेंद्रगढ़:चौधरी चुन्नीलाल, जो कि चमार रेजिमेंट के पहले हवलदार थे, आज 107 साल की उम्र में देश के लिए उनके अद्वितीय योगदान की याद दिलाते हैं। महेंद्रगढ़, हरियाणा के रहने वाले चौधरी चुन्नीलाल जी आज चमार रेजिमेंट के एकमात्र जीवित सिपाही हैं और स्वतंत्रता संग्राम की ऐतिहासिक घटनाओं का जीवंत प्रमाण हैं।
चमार रेजिमेंट का गौरवशाली इतिहास
ब्रिटिश भारत के समय में, जब भारतीय समाज और सेना में जातिगत भेदभाव व्याप्त था, चमार रेजिमेंट का गठन किया गया था। यह रेजिमेंट अपने साहस और वीरता के लिए जानी जाती थी। चुन्नीलाल जी इस रेजिमेंट में हवलदार के पद पर थे और उन्होंने अपनी बहादुरी से ब्रिटिश शासन को चुनौती दी।
मिलिए #चमार_रेजिमेंट के एकमात्र जीवित सिपाही चौधरी चुन्नीलाल जी जिनकी उम्र 107 साल है हरियाणा के महेंद्रगढ़ के रहने वाले, जो की चमार रेजिमेंट के पहले हवलदार थे, चुन्नीलाल जी ने नेता सुभाषचंद्र बोस को मारने का ओर्डर देने वाले अंग्रेज अफसर को गोली मार दी थी। pic.twitter.com/O3QDnFBiwp
— Raj Kumar Kabir (@rajkumarkabir1) October 3, 2024
नेता जी सुभाषचंद्र बोस से जुड़ी ऐतिहासिक घटना
चौधरी चुन्नीलाल जी का नाम एक खास घटना के कारण स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है। उन्होंने उस ब्रिटिश अधिकारी को गोली मार दी थी जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक नेता जी सुभाषचंद्र बोस को मारने का आदेश दिया था। यह साहसिक कदम उनके देशभक्ति और अंग्रेजों के खिलाफ उनके विद्रोह का प्रतीक था।
आदर्श और प्रेरणा
चौधरी चुन्नीलाल जी का जीवन संघर्ष, समर्पण और साहस का प्रतीक है। 107 साल की उम्र में भी, उनकी आंखों में वह चमक और हृदय में देशभक्ति की भावना है जो हर भारतीय को प्रेरित करती है। वे न केवल अपने गांव महेंद्रगढ़, बल्कि पूरे देश के युवाओं के लिए एक आदर्श हैं।
आज जब हम स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं, तो यह आवश्यक है कि हम ऐसे वीरों को याद रखें जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना देश के लिए लड़ाई लड़ी। चौधरी चुन्नीलाल जी की वीरता हमें यह सिखाती है कि सच्चा देशभक्त कभी हार नहीं मानता और अपने देश के लिए कुछ भी कर गुजरता है।