जालोर, 2 अक्टूबर 2024 - जालोर जिले के भाद्राजून स्थित मालगढ़ राजकीय स्कूल के प्रधानाध्यापक राजेंद्र सिंह पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने स्कूल में दलित बच्चों को मिलने वाले पोषाहार में भेदभाव किया है। यह आरोप है कि स्कूल में बच्चों को दिए जाने वाले पोषाहार से टमाटर और मिर्ची जैसे आवश्यक पोषक तत्व गायब कर दिए गए और उनकी जगह सड़े हुए गेहूं और चावल से बना खाना दिया जा रहा है।
सच्चाई उजागर करने पर सरपंच को धमकी
इस मामले की सच्चाई सामने लाने वाले गांव के सरपंच को प्रधानाध्यापक द्वारा धमकी दी जा रही है। सरपंच ने शिकायत की है कि जब उन्होंने इस मुद्दे को उठाया, तो राजेंद्र सिंह ने उन्हें पीटने की धमकी दी। इस घटना के बाद सरपंच ने सीएमओ (मुख्य चिकित्सा अधिकारी) से इस मामले की जांच की गुहार लगाई है।
नाम:- राजेंद्र सिंह प्रधानाध्यापक
— Ashok Meghwal (@AshokMeghwal_) October 2, 2024
पता:- राजकीय स्कूल मालगढ़ भाद्राजून जालोर
काम:- दलित बच्चो को स्कूल में मिलने वाले पोषाहार से टमाटर और मिर्ची गायब कर सड़े हुए गेंहू और चावल का खाना बनाकर खिलाना।
इसकी सच्चाई सामने लाने पर वहा के दलित सरपंच को पीटने की धमकी दे रहा है।@RajCMO pic.twitter.com/Pw5iBnBgb3
शिक्षा विभाग और गांव में आक्रोश
मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। दलित बच्चों को दिए जाने वाले घटिया और सड़े हुए भोजन को लेकर गांव में भारी आक्रोश है। लोगों का कहना है कि प्रधानाध्यापक राजेंद्र सिंह ने बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया है, जो एक गंभीर अपराध है।
एक स्थानीय निवासी ने कहा, "यह बच्चों के साथ अन्याय है। पोषाहार का उद्देश्य बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार करना है, लेकिन यहां तो उन्हें सड़ा हुआ खाना खिलाया जा रहा है। दलित बच्चों के साथ इस प्रकार का भेदभाव असहनीय है।"
एक और बात सवर्ण जाति के राजेंद्र सिंह पोषाहार में 1 टमाटर और 3 मिर्ची में 70 बच्चो के खाने की सब्जी बनाते है। सब्जी खाने वाले 90% दलित बच्चे है।
— Ashok Meghwal (@AshokMeghwal_) October 2, 2024
इनको तो राष्ट्रीय पोषाहार शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित करना चाहिए। @PMOIndia https://t.co/tEasTvcqTk
सीएमओ और प्रशासन से कार्रवाई की मांग
स्थानीय निवासियों ने इस मामले में शिक्षा विभाग और सीएमओ से तत्काल जांच और कार्रवाई की मांग की है। लोग चाहते हैं कि दोषी प्रधानाध्यापक पर कड़ी कार्रवाई की जाए और बच्चों को स्वस्थ और पौष्टिक भोजन प्रदान किया जाए।
यह घटना एक बड़े सामाजिक मुद्दे की ओर इशारा करती है, जहां दलित बच्चों के साथ भेदभाव और उनकी सुरक्षा व स्वास्थ्य से समझौता किया जा रहा है। स्थानीय प्रशासन पर दबाव है कि वह इस मामले की निष्पक्ष जांच करे और दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए। मामले की जांच की प्रगति पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।