दुर्ग, छत्तीसगढ़ – भिलाई में एक बार फिर निजी अस्पताल की लापरवाही का मामला सामने आया है, जहां एक ढाई साल के बच्चे की एक्सीडेंट के बाद इलाज के दौरान मौत हो गई। हैरानी की बात यह है कि अस्पताल ने मृतक बच्चे के परिजनों को इसकी सूचना दिए बिना ही शव सौंप दिया, जबकि ऐसे मामलों में अस्पताल प्रबंधन को पुलिस को सूचित करना आवश्यक होता है।
यह घटना जामुल से अहिवारा के बीच नंदनी एरोड्रम के पास हुई, जहां एक स्कूटी और बाइक के बीच टक्कर हुई। इस दुर्घटना में बाइक सवार 58 वर्षीय नारायण प्रसाद वर्मा की मौत हो गई, जबकि स्कूटर चालक और उनका बेटा गंभीर रूप से घायल हो गए। अस्पताल में इलाज के दौरान मासूम बच्चे की भी मौत हो गई, जिसके बाद परिवार ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया।
मृतक बच्चे विनय साहू के दादा खेमलाल साहू ने आरोप लगाया है कि उन्हें अस्पताल की सभी प्रक्रियाओं की जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने कहा, "हमें अस्पताल ने केवल बच्चे का शव सौंपा, और हमने उसे दो दिन पहले दफना दिया।"
जब पुलिस को बच्चे की मौत के बारे में जानकारी मिली, तब उन्होंने कुरुद के मुक्तिधाम में बच्चे का शव कब्र से बाहर निकालकर पोस्टमार्टम कराने का निर्णय लिया। नंदिनी थाना प्रभारी मनीष शर्मा ने बताया कि बच्चे की मौत का कारण जानने के लिए पोस्टमार्टम कराना आवश्यक था, इसी वजह से दो दिन बाद शव को बाहर निकाला गया।
इस मामले में पल्स अस्पताल के ड्यूटी डॉक्टर की जिम्मेदारी थी कि वे बच्चे की मौत के बाद पुलिस और परिजनों को सूचित करते। पोस्टमार्टम टीम के इंचार्ज डॉक्टर ने भी कहा कि किसी भी संदिग्ध मौत के मामले में पोस्टमार्टम कराना अनिवार्य है।
हालांकि, इस पूरे मामले में पल्स अस्पताल प्रबंधन ने किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। यह घटना अस्पतालों की जिम्मेदारियों और मरीजों के परिवारों को जानकारी देने की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाती है।
इस मामले की जांच जारी है, और स्थानीय प्रशासन ने कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। परिजनों के लिए यह मामला न केवल संवेदनशील है, बल्कि यह अस्पतालों की जिम्मेदारी और मानवता की परिभाषा को भी चुनौती देता है।