हाल के दिनों में मध्य पूर्व फिर से संघर्ष की आग में झुलस रहा है, क्योंकि इजराइल और ईरान के बीच तनाव युद्ध में बदल चुका है। इस युद्ध से सामने आईं तस्वीरें सिर्फ दृश्य नहीं हैं; ये तबाही की कठोर और दर्दनाक सच्चाई को उजागर करती हैं। जले हुए घर, टूटी हुई ज़िंदगियाँ और पीड़ा से भरे चेहरे सिर्फ तस्वीरों के पिक्सल नहीं हैं—ये युद्ध की मानवीय कीमत का गवाह हैं।
ऐसे समय में जब राजनीतिक विचारधाराएं और राष्ट्रवाद अक्सर युद्ध की आग को भड़काते हैं, हमें ठहरकर सोचना चाहिए: क्या हम सच में इस विनाश का समर्थन कर रहे हैं? क्यों हमें लगता है कि युद्ध में सिर्फ "दूसरी तरफ" के लोग ही पीड़ित होंगे? यह भ्रम न केवल "दुश्मन" को अमानवीय बनाता है, बल्कि यह भी भूलने पर मजबूर करता है कि युद्ध में कोई सच्चा विजेता नहीं होता—सिर्फ बचे हुए होते हैं, जो असीमित दुख और हानि का बोझ उठाते हैं।
#IsraelIranWar की इन तस्वीरों को देखिए... ये सिर्फ तस्वीरें नहीं, ये विनाश की गवाही हैं।
— Today Maharashtra (@todaymaharasht) October 3, 2024
क्या आप सच में इसका समर्थन कर रहे हैं?
क्यों लगता है कि युद्ध में सिर्फ ‘दूसरी तरफ’ के लोग ही मारे जाएँगे?
याद रखिए, युद्ध न तो राष्ट्रवाद है और न ही कोई खेल।
यह कोई मनोरंजन नहीं, जहां… pic.twitter.com/3zVH3YjBTT
युद्ध न तो राष्ट्रवाद है और न ही कोई खेल। यह कोई मनोरंजन नहीं है जिसे हम घर बैठे देखकर तालियाँ बजा सकें। ऐसा करने से हम उन लोगों के दर्द को नजरअंदाज कर रहे हैं, जो युद्ध की घातक पकड़ में फंसे हैं। युद्ध तब आता है जब इंसानियत हार चुकी होती है, जब संवाद बंद हो जाते हैं, और शांति की उम्मीद टूट जाती है। यह कभी भी पहला विकल्प नहीं होना चाहिए, और न ही यह अंतिम विकल्प है—यह एक अंतहीन त्रासदी की शुरुआत है।
जो लोग मानते हैं कि युद्ध जटिल राजनीतिक या भौगोलिक समस्याओं का समाधान हो सकता है, इतिहास उनसे कुछ और कहता है। युद्ध कभी समाधान नहीं होता—यह स्वयं सबसे बड़ी समस्या है। यह हिंसा, आघात और विभाजन का ऐसा चक्र उत्पन्न करता है जो युद्धक्षेत्र से कहीं आगे तक चलता है। आज, जब हम इजराइल और ईरान के बीच हो रही तबाही को देख रहे हैं, हमें खुद से यह सवाल पूछना चाहिए: क्या हम वास्तव में इस हिंसा का समर्थन करने के लिए तैयार हैं? या फिर अब समय आ गया है कि हम युद्ध और विनाश के बजाय संवाद, करुणा और सबसे बढ़कर शांति की मांग करें?
दुनिया की निगाहों के सामने, इस युद्ध की तस्वीरें हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं: युद्ध की कीमत बहुत अधिक है, और इसके परिणाम बेहद गंभीर। यह एक त्रासदी है, जो हमें किसी एक पक्ष का समर्थन करने के बजाय शांति और मानवता के लिए खड़े होने पर मजबूर करती है।