नई दिल्ली: बहुजन समाज के प्रमुख चिंतक और सामाजिक कार्यकर्ता क्रांति कुमार ने हाल ही में X (पूर्व में ट्विटर) पर एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाते हुए एक पोस्ट साझा की है, जो बहुजन समाज के पत्रकारों और नेताओं के बीच संवाद और भेदभाव को लेकर चर्चा का विषय बन गया है।
क्रांति कुमार ने अपने पोस्ट में लिखा, "बहुजन समाज के प्रसिद्ध पत्रकार जब किसी OBC, SC, ST नेता को इंटरव्यू के लिए बुलाते हैं, तो वे नहीं आते। वहीं जब OBC, SC, ST पत्रकार बड़े नेताओं के दरवाजे पर इंटरव्यू लेने के लिए जाते हैं, तो या तो मिलने से इंकार कर दिया जाता है या फिर उन्हें घंटों इंतजार कराया जाता है, जिसके बाद पत्रकार खुद ही लौट जाता है।"
बहुजन समाज के प्रसिद्ध पत्रकार जब किसी OBC SC ST नेता को इंटरव्यू के लिए बुलाते हैं तो नही आते हैं.
— Kranti Kumar (@KraantiKumar) October 4, 2024
OBC SC ST पत्रकार बड़े नेताओं के दरवाजे पर इंटरव्यू लेने के लिए जाते हैं तो मिलने से इंकार कर दिया जाता है या घंटो इतना इंताजर कराया जाता है कि पत्रकार खुद लौट जाता है.
लेकिन… pic.twitter.com/JdB6PKxck8
उन्होंने आगे कहा कि इसके विपरीत, जब सवर्ण पत्रकार या यूट्यूबर किसी OBC, SC, ST नेता को इंटरव्यू के लिए बुलाते हैं, तो वे तुरंत वहां पहुंच जाते हैं। क्रांति कुमार के अनुसार, इन इंटरव्यूज के दौरान इन नेताओं को अपमानित महसूस कराया जाता है और जानबूझकर उनकी छवि खराब करने वाले सवाल पूछे जाते हैं। इसके बावजूद, इन नेताओं को सवर्ण पत्रकारों को इंटरव्यू देने की "लत" लग गई है।
क्रांति कुमार ने बहुजन समाज के नेताओं पर यह आरोप भी लगाया कि वे बहुजन समाज के पत्रकारों को हतोत्साहित करने का काम कर रहे हैं, जिससे पत्रकारिता जगत में असमानता और भेदभाव की समस्या और गहरी हो रही है।
इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। कई लोगों ने क्रांति कुमार की बातों का समर्थन किया, जबकि कुछ ने इस मुद्दे पर अलग राय रखी। इस पर बहुजन समाज के नेताओं और पत्रकारों के बीच संवाद की कमी और पारदर्शिता की आवश्यकता को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
क्रांति कुमार की इस पोस्ट ने बहुजन समाज में पत्रकारों और नेताओं के संबंधों पर एक नया दृष्टिकोण सामने रखा है, जो आने वाले समय में एक बड़ी चर्चा का विषय बन सकता है।