मध्य पूर्व के देशों में करीब 90 लाख भारतीय काम कर रहे हैं, जिनमें से अधिकांश खाड़ी देशों में निवास करते हैं। ये भारतीय प्रवासी न केवल अपनी आजीविका चला रहे हैं बल्कि भारत में अपने परिवारों के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक समर्थन भी प्रदान कर रहे हैं। आइए, देखते हैं किस देश में कितने भारतीय प्रवासी काम कर रहे हैं:
1.संयुक्त अरब अमीरात (UAE): लगभग 35.54 लाख भारतीय यहाँ काम कर रहे हैं, जिससे यह भारतीय प्रवासियों के लिए सबसे लोकप्रिय गंतव्य बन गया है।
2. सऊदी अरब: यहाँ करीब 25.9 लाख भारतीय काम कर रहे हैं, जिससे यह दूसरा सबसे लोकप्रिय गंतव्य बन गया है।
3. कुवैत: यहाँ करीब 10.2 लाख भारतीय निवास करते हैं।
4. कतर: यहाँ करीब 7.4 लाख भारतीय हैं।
5. ओमान: यहाँ करीब 7.7 लाख भारतीय काम कर रहे हैं
6. बहरीन: यहाँ लगभग 3.2 लाख भारतीय निवास करते हैं।
खाड़ी देशों में काम कर रहे ये भारतीय प्रवासी भारत में लाखों परिवारों का जीवन-यापन चला रहे हैं। इन प्रवासियों के मेहनताने और प्रेषण (रेमिटेंस) का भारतीय अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव है, खासकर उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति पर। इस प्रकार खाड़ी देशों में काम करने वाले भारतीय न केवल अपनी बल्कि अपने परिवारों और समाज की बेहतरी में भी योगदान दे रहे हैं।
Mumbai Near Tata Hospital Parel " Jai Sri Ram " bologe to khana milega Open Communalism Is Done By This Old Age Man Food Distribution Is A Good Cause Which Should be Done Without Seeing Caste Or Creed
— Dr.Vilas Kharat (@vilas1818) October 30, 2024
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हाल के वर्षों में धार्मिक स्वतंत्रता और कार्यस्थल पर सहिष्णुता का मुद्दा उठता रहा है। मध्य पूर्व के अधिकतर देशों में भारतीय प्रवासी विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों से आते हैं, और इन देशों में धार्मिक सहिष्णुता का माहौल बनाए रखना भी आवश्यक है।
इस संदर्भ में भारत में हाल ही में मुंबई में टाटा कैंसर अस्पताल के बाहर गरीबों में भोजन वितरण के दौरान कथित रूप से किसी को धार्मिक नारा लगाने के लिए बाध्य करने की घटना भी चर्चा का विषय बनी। इससे एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है कि धार्मिक स्वतंत्रता और सहिष्णुता का सम्मान समाज के हर स्तर पर कैसे सुनिश्चित किया जाए, ताकि सभी धर्मों और जातियों के लोग एक-दूसरे का सम्मान करते हुए सह-अस्तित्व में रह सकें। मुंबई के टाटा कैंसर अस्पताल के बाहर 20 रुपए का खाना बाटने पर एक शख्स गरीब मुस्लिम को खाना देने के बदले जय श्रीराम बोलने को मजबूर कर रहा था.
मध्य पूर्व में भारतीय प्रवासियों की एक बड़ी संख्या काम कर रही है, और इनके योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी काम करने वाले भारतीयों के लिए आवश्यक है।