इटावा, उत्तर प्रदेश – इटावा जिले के बसरेहर थाना क्षेत्र में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां दलित समाज के विक्रम सिंह कठेरिया की हत्या कर दी गई। यह घटना तब हुई जब विक्रम अपने गांव में भंडारा (सामुदायिक भोजन) आयोजित कर रहे थे और उन्होंने अपने ही गांव के तीन व्यक्तियों - राम जी, डिस्को, और छुटकी - को भोजन करने के लिए आमंत्रित किया।
मिली जानकारी के अनुसार, जातिवादी मानसिकता से ग्रसित इन तीनों व्यक्तियों ने विक्रम का अपमान किया और उन्हें जान से मारने की धमकी दी। इस घटना के बाद, रात्रि में विक्रम के साथ मारपीट की गई और बाद में उन्हें फंदे पर लटका दिया गया। यह स्पष्ट रूप से एक हत्या का मामला है, जिसमें जातीय भेदभाव और नफरत की भूमिका नजर आ रही है।
विक्रम के परिवार और स्थानीय समुदाय ने प्रशासन से इस मामले को गंभीरता से लेने की अपील की है। उनका कहना है कि दलितों को इतना कमजोर और सस्ता शिकार न समझा जाए और इस अपराध में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस प्रकार की घटनाएं समाज में जातिवादी मानसिकता को और बढ़ावा देती हैं और न्याय सुनिश्चित करना आवश्यक है।
प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है और दोषियों के खिलाफ कठोर कदम उठाने का आश्वासन दिया है। पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर लिया है, और अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है। इस घटना ने इटावा के लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है, और न्याय की मांग तेज हो गई है।
दलित समुदाय की सुरक्षा और समानता पर सवाल उत्तर प्रदेश के जिला इटावा थाना बसरेहर में दलित समाज के विक्रम सिंह कठेरिया जिनके द्वारा भंडारा किया जा रहा था जिसमें उन्होंने गांव के ही राम जी,डिस्को, छुटकी नामक व्यक्तियों से सिर्फ अपने यहां चल रहे भंडारे में भोजन करने के लिए बोला तो जातिवादी मानसिकता के उन तीनों व्यक्तियों ने… pic.twitter.com/cONRfYu072
इस घटना ने फिर से उत्तर प्रदेश में दलित समुदाय की सुरक्षा और उनके प्रति हो रहे अत्याचारों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना केवल एक व्यक्ति की हत्या नहीं है, बल्कि समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव की गहरी जड़ें दिखाती है। विक्रम सिंह कठेरिया की मौत ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि जातिवादी मानसिकता आज भी समाज में किस कदर फैली हुई है।
विक्रम के परिवार और दलित संगठनों ने प्रशासन से इस घटना की निष्पक्ष जांच और दोषियों को सख्त सजा देने की मांग की है। साथ ही, सरकार से दलितों के खिलाफ होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की गई है।
समाज में सभी वर्गों को समान अधिकार और सम्मान मिलना चाहिए। इस दुखद घटना ने एक बार फिर से यह याद दिलाया है कि जातिगत भेदभाव और हिंसा को जड़ से समाप्त करने के लिए पूरे समाज को मिलकर काम करना होगा।