पाकिस्तान में हिंदुओं की जान कोई मायने नहीं रखती: सिंध में भूख और बेरोजगारी से त्रस्त किसान ने तीन बच्चों के साथ की आत्महत्या, सरकार मूकदर्शक

उमरकोट, सिंध (पाकिस्तान) – पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यकों की स्थिति लगातार दयनीय होती जा रही है। हाल ही में सिंध के उमरकोट जिले में एक हृदयविदारक घटना सामने आई, जहां एक गरीब हिंदू किसान चमन कोल्ही ने अपने तीन बच्चों के साथ आत्महत्या कर ली। इस घटना ने न केवल सिंध बल्कि पूरे पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनकी उपेक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

चमन कोल्ही, जो कि एक गरीब किसान था, लंबे समय से भूख और बेरोजगारी से जूझ रहा था। आर्थिक तंगी और सरकार से किसी भी तरह की सहायता न मिलने के कारण उसके पास आत्महत्या के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा। उसकी स्थिति इतनी दयनीय थी कि वह अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी भी नहीं जुटा पा रहा था। इस त्रासदी में चमन ने अपने तीन बच्चों को भी अपने साथ मौत के मुंह में धकेल दिया, जिससे पूरे इलाके में शोक और आक्रोश की लहर फैल गई है।

यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ इस तरह की घटनाएं सामने आई हैं। पाकिस्तान की सिंध सरकार और केंद्र सरकार पर पहले भी हिंदू अल्पसंख्यकों की उपेक्षा के आरोप लगते रहे हैं। चमन कोल्ही और उसके परिवार की मौत ने एक बार फिर से इस मुद्दे को उजागर किया है। स्थानीय नागरिकों और मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार इस तरह की घटनाओं पर केवल मूकदर्शक बनी रहती है, और अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते।

पाकिस्तान में हिंदू समुदाय, विशेष रूप से सिंध प्रांत में, अत्यधिक गरीबी और बेरोजगारी से जूझ रहा है। इन हालातों में न केवल आर्थिक मदद की कमी है, बल्कि हिंदू समुदाय के लोगों को शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं से भी वंचित किया जा रहा है। भूख और बेरोजगारी की मार झेल रहे अल्पसंख्यकों के लिए राहत के कोई उपाय सरकार द्वारा नहीं किए जा रहे हैं। इससे उनका जीवन कठिन और असहनीय हो गया है।

इस तरह की घटनाओं पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी भी चिंताजनक है। पाकिस्तान के हिंदू अल्पसंख्यक लगातार अपने मौलिक अधिकारों से वंचित हो रहे हैं, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती दिख रही है। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार पर दबाव डालने की सख्त जरूरत है ताकि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके।

चमन कोल्ही की आत्महत्या ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के जीवन की अनदेखी की गंभीरता को उजागर किया है। सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिससे यह सवाल उठता है कि पाकिस्तान में हिंदुओं की जान और उनका अस्तित्व किसी मायने में आता भी है या नहीं।

Rangin Duniya

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