गोरखपुर के एक प्रमुख गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉक्टर अनुज पर एक मरीज के पति ने हथौड़े से हमला कर दिया, जिससे उनकी खोपड़ी गंभीर रूप से चोटिल हो गई। इस घटना ने शहर में सनसनी मचा दी है और चिकित्सा पेशे से जुड़ी कई नैतिक और संवेदनशील मुद्दों को सामने लाया है।
घटना संत कबीर नगर के रहने वाले एक सस्पेंड पुलिसकर्मी से जुड़ी है, जो अपनी बीमार पत्नी के पेट दर्द के इलाज के लिए डॉक्टर अनुज के पास आया था। आरोपी पुलिसकर्मी की पत्नी की बीमारी के चलते वह अपनी नौकरी में कई बार अनुपस्थित रहा, जिससे उसे निलंबन का सामना करना पड़ा था। डॉक्टर ने मरीज की स्थिति की जांच करने के लिए अल्ट्रासाउंड करवाने का सुझाव दिया, जो डॉक्टर के अनुसार उनके ही अस्पताल में होना था।
यह गोरखपुर के गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉक्टर अनुज है
— 🇮🇳Jitendra pratap singh🇮🇳 (@jpsin1) October 8, 2024
एक मरीज ने उनकी खोपड़ी खोल दिया
दरअसल संत कबीर नगर से एक व्यक्ति जो पुलिस विभाग से सस्पेंड था वह अपनी पत्नी के पेट के इलाज के लिए उनके पास आया
और वह व्यक्ति अपनी पत्नी के बीमारी के लिए इतनी छुट्टियां लेता था और कई बार ड्यूटी… pic.twitter.com/WfCk9otsYh
मरीज के पति ने अल्ट्रासाउंड के खर्च को लेकर डॉक्टर से सवाल किया और कहा कि संत कबीर नगर में यह जांच सस्ते में हो सकती है। इसके बाद दोनों के बीच बहस हो गई। आरोप है कि डॉक्टर ने उस व्यक्ति की फाइल फेंक दी और गाली-गलौज शुरू कर दी। डॉक्टर के इशारे पर अस्पताल के बाउंसरों ने उस व्यक्ति की पिटाई कर दी, जिसके दौरान उसकी पत्नी और बच्चे अस्पताल में मौजूद थे और रोते-बिलखते हुए इस घटना को देख रहे थे।
इस अपमानजनक घटना से आहत पुलिसकर्मी ने अगली सुबह एक हथौड़ा लेकर डॉक्टर के क्लिनिक में जाकर उन पर हमला कर दिया। पुलिस ने तुरंत आरोपी को गिरफ्तार कर लिया, और उस पर गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। खबरों के अनुसार, उसकी जमानत याचिका भी खारिज कर दी गई है।
नैतिक सवालों के घेरे में डॉक्टर
इस पूरे मामले में गोरखपुर के डॉक्टरों की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। मरीज के पति का आरोप है कि डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड को अपने ही अस्पताल में करवाने पर जोर दिया, जो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की गाइडलाइन्स के खिलाफ है। आईएमए की गाइडलाइन्स के अनुसार, कोई भी डॉक्टर किसी मरीज को किसी विशेष केंद्र पर जांच करवाने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। मरीज के पति के अनुसार, डॉक्टर ने पैसा कमाने की मंशा से इस तरह का व्यवहार किया और जब उसने अल्ट्रासाउंड बाहर करवाने की बात की, तो डॉक्टर ने उसे अपमानित किया और बाउंसर से पिटवाया।
पुलिस और चिकित्सा समुदाय में सवाल
इस घटना के बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन कुछ लोग मांग कर रहे हैं कि डॉक्टर के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। आरोपी का कहना है कि उसे अपनी पत्नी और बच्चों के सामने अपमानित किया गया, जिससे वह मानसिक तनाव में आ गया और इस कारण उसने हमला किया।
इस घटना ने मेडिकल और पुलिस समुदाय दोनों में खलबली मचा दी है। एक तरफ डॉक्टरों की नैतिकता पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कानून व्यवस्था और चिकित्सा के बीच की सीमाएं भी धुंधली होती दिख रही हैं।
यह घटना सिर्फ एक डॉक्टर और मरीज के बीच का विवाद नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा सवाल खड़ा करती है कि चिकित्सा पेशे में मानवीयता और नैतिकता का कितना स्थान है।