रुपाली गौतम ने हाल ही में अपने X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर एक महत्वपूर्ण और भावुक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने भारत की पुरानी और कुप्रथाओं में से एक, सती प्रथा, पर सवाल उठाया और इसके भयानक परिणामों पर प्रकाश डाला। उन्होंने लिखा, "सती प्रथा हमारे देश से बहुत पहले खत्म हो चुकी है क्योंकि इसमें पति की अर्थी के साथ महिला को गुमराह करके, जबरदस्ती जला दिया जाता था।"
रूपाली गौतम ने अपने पोस्ट में राजस्थान के चर्चित रूप कंवर सती कांड का भी उल्लेख किया। रूप कंवर, जयपुर की रहने वाली 18 वर्षीय युवती थीं, जिनकी शादी सीकर जिले के दिवराला गाँव के माल सिंह शेखावत से हुई थी। शादी के सात महीने बाद, माल सिंह की बीमारी से मृत्यु हो गई। अफवाहें फैलीं कि रूप कंवर ने पति की चिता पर सती होने की इच्छा व्यक्त की थी। 4 सितंबर 1987 को रूप कंवर को सती कर दिया गया, जिसके बाद पूरे देश में इस घटना ने हंगामा खड़ा कर दिया।
जांच में यह बात सामने आई कि रूप कंवर अपनी मर्जी से सती नहीं हुई थीं, बल्कि उन्हें जबरदस्ती सती प्रथा का हिस्सा बनाया गया था। उस समय राजस्थान के मुख्यमंत्री हरदेव जोशी ने इस मामले में 39 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। आरोपियों पर दिवराला गाँव में इकट्ठा होकर सती प्रथा का महिमामंडन करने और रूप कंवर को सती होने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया गया था।
सती प्रथा हमारे देश से बहुत पहले खत्म हो चुकी है
— Rupali Gautam (@rupali_gautam83) October 10, 2024
क्योंकि इसमें पति की अर्थी के साथ महिला को गुमराह करके,जबरदस्ती जला दिया जाता था।
सती प्रथा का ताजा उदाहरण मैं आपको देती हुं
राजस्थान के जयपुर की रहने वाली 18 साल की रूप कंवर की शादी सीकर जिले के दिवराला में माल सिंह शेखावत से… pic.twitter.com/QFw9sXOezo
रूपाली गौतम ने इस घटना का जिक्र करते हुए लिखा कि कैसे एक युवा महिला को सामाजिक दबाव और अंधविश्वास के चलते उसकी मर्जी के खिलाफ जलाया गया। इस घटना के बाद सती प्रथा के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए और इसके खात्मे के लिए सख्त कानून बनाए गए।
इस मामले की सुनवाई 37 साल तक चली और आखिरकार हाल ही में विशिष्ट न्यायालय सती निवारण कोर्ट, जयपुर ने सभी आठ आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया। इस फैसले के बाद एक बार फिर यह मामला चर्चा में आ गया है।
रूपाली ने इस फैसले पर भी अपनी निराशा व्यक्त की और कहा कि यह सोचने की बात है कि क्या हमारे समाज ने वास्तव में अंधविश्वास और रूढ़िवाद से पीछा छुड़ाया है या अब भी हम इन जंजीरों में जकड़े हुए हैं। उनके इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर व्यापक बहस को जन्म दिया है, जहां लोग इस प्रथा के इतिहास, इसके परिणामों और इससे जुड़े कानूनी पहलुओं पर चर्चा कर रहे हैं।
सती प्रथा को भारत में कानूनी रूप से समाप्त कर दिया गया है, लेकिन रूपाली का यह पोस्ट इस बात की याद दिलाता है कि समाज को अंधविश्वास और पुरानी कुप्रथाओं से मुक्त करने की लड़ाई आज भी जारी है।