रतन टाटा, टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष और भारत के प्रमुख उद्योगपति, न केवल अपने व्यापारिक कौशल के लिए जाने जाते हैं, बल्कि उनकी परोपकारी गतिविधियों ने भी उन्हें विशेष पहचान दिलाई है। उन्होंने अपने पिता और टाटा समूह के संस्थापक जमशेतजी टाटा की विरासत को आगे बढ़ाते हुए शिक्षा, स्वास्थ्य, और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान दिया है। उनके परोपकारी कार्यों के कारण उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है।
शिक्षा में रतन टाटा का योगदान
रतन टाटा के नेतृत्व में, टाटा ट्रस्ट्स ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जेएन टाटा एंडोमेंट के माध्यम से भारतीय विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्तियां प्रदान की जाती हैं। टाटा ट्रस्ट का उद्देश्य सीमांत समुदायों से आने वाले बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है, जो संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के साथ संरेखित है।
उनके द्वारा स्थापित और समर्थित प्रमुख शैक्षिक संस्थानों में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी बॉम्बे (आईआईटी-बी), टाटा सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एंड डिजाइन, और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) प्रमुख हैं। टाटा ट्रस्ट ने कोर्नेल विश्वविद्यालय के साथ मिलकर $28 मिलियन के फंडरेजिंग अभियान की स्थापना की है, जो आर्थिक रूप से कमजोर भारतीय छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में मदद करता है।
चिकित्सा क्षेत्र में योगदान
स्वास्थ्य सेवा में भी रतन टाटा के योगदान को अनदेखा नहीं किया जा सकता। उन्होंने भारत में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने के लिए विशेष रूप से काम किया है। मातृ और शिशु स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, और गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, मलेरिया, और टीबी के इलाज के लिए टाटा ट्रस्ट ने अनेक पहल की हैं। इसके अतिरिक्त, अल्ज़ाइमर पर शोध के लिए उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में न्यूरोसाइंस केंद्र को ₹750 मिलियन का अनुदान दिया है।
ग्रामीण और कृषि विकास में योगदान
रतन टाटा की ग्रामीण भारत की पहल (टीआरआई) ने गरीबी से ग्रसित क्षेत्रों में समृद्धि लाने के लिए सरकारों, एनजीओ, और अन्य परोपकारी संस्थानों के साथ मिलकर कार्य किया है। टाटा ट्रस्ट ने प्राकृतिक आपदाओं के दौरान भी महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की है और अस्पतालों और स्कूलों के निर्माण में मदद की है।
सर रतन टाटा ट्रस्ट की भूमिका
1919 में रतन टाटा द्वारा स्थापित सर रतन टाटा ट्रस्ट ने समाज के कमजोर वर्गों की सहायता में अहम भूमिका निभाई है। यह ट्रस्ट शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम चलाता है। यह संकट की घड़ी में आपातकालीन अनुदान भी प्रदान करता है।
अंतर्राष्ट्रीय मंच पर योगदान
रतन टाटा ने न केवल भारत में, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी सेवाएं दी हैं। वे एल्कोआ इंक, मोंडेलेज़ इंटरनेशनल और ईस्ट-वेस्ट सेंटर जैसे प्रमुख संगठनों के बोर्ड में कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा, उन्होंने हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल, दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, और कॉर्नेल विश्वविद्यालय जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं के सलाहकार बोर्ड में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
रतन टाटा का जीवन न केवल उद्योग और व्यापार की ऊंचाइयों तक सीमित रहा है, बल्कि उनके द्वारा किए गए परोपकारी कार्यों ने समाज के कमजोर और जरूरतमंद वर्गों को नया जीवन दिया है। उनके नेतृत्व और उदार दान ने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्रों में स्थायी सुधार किए हैं। रतन टाटा की परोपकारिता ने उन्हें न केवल एक सफल उद्योगपति, बल्कि एक सच्चे समाजसेवी के रूप में भी स्थापित किया है।