कल, दिल्ली की प्रतिष्ठित जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में दीपोत्सव का कार्यक्रम एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) द्वारा आयोजित किया गया, लेकिन इस शांतिपूर्ण आयोजन में तब तनाव पैदा हुआ जब विभिन्न छात्र समूहों के बीच झड़प हो गई।
घटना की शुरुआत:
कार्यक्रम की शुरुआत पूरी तरह शांतिपूर्ण माहौल में हुई। दीपों से सजे रंगोली प्रतियोगिता के साथ इस प्री-दीवाली सेलिब्रेशन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मौजूद प्रियांशु, जो कि आयोजन का हिस्सा थे, बताते हैं कि लगभग 7 बजे के आसपास अचानक से माहौल बिगड़ गया। कुछ लोग वहां आए, दीपक तोड़े, रंगोली को बिगाड़ा और धार्मिक नारे "अल्लाहु अकबर" लगाते हुए हिंसक रूप से हमला किया। प्रियांशु ने कहा, "उन लोगों ने हमारे साथ बदतमीजी की और हमारी छात्राओं को हिजाब पहनने को कहा, अन्यथा रेप की धमकी दी।"
दो गुटों के बीच तनाव:
खुशी खातून, जो कि इस आयोजन में रंगोली बना रही थीं, ने बताया कि पहले तो सब कुछ सामान्य था, लेकिन फिर नारेबाजी शुरू हो गई। एक गुट ने "फिलिस्तीन जिंदाबाद" के नारे लगाए, जबकि दूसरा गुट "जय माता दी" और "भारत माता की जय" के नारे लगाने लगा। धीरे-धीरे यह नारेबाजी झड़प में तब्दील हो गई। कुछ लोगों का आरोप है कि इस दौरान हिंसक झड़प भी हुई और कुछ छात्रों को चोटें आईं। खुशी ने बताया, "हम सब जामिया के ही छात्र थे, बाहर के लोग बहुत कम थे।"
फिलिस्तीन के समर्थन में नारे और प्रशासन की भूमिका:
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान फिलिस्तीन के समर्थन में नारे लगाए जाने की पुष्टि भी की गई। संत कुमार, जो राष्ट्रीय कला मंच के सदस्य हैं, ने बताया कि "जय श्री राम" के नारों के जवाब में "फिलिस्तीन जिंदाबाद" के नारे लगाए गए। उन्होंने कहा, "यहां जो कुछ हुआ, वह एक काउंटर-स्लोगनिंग की स्थिति थी। पहले जय श्री राम के नारे लगे, उसके बाद फिलिस्तीन के समर्थन में नारे शुरू हुए।"
प्रशासन और सुरक्षा के मुद्दों पर छात्रों ने सवाल उठाए हैं। संत कुमार ने बताया, "जामिया प्रशासन ने सही तरीके से बाहर के लोगों की पहचान नहीं की। हमें तो कैंपस में प्रवेश के दौरान बार-बार आईडी कार्ड दिखाना पड़ता है, लेकिन कल कुछ बाहरी लोग कैसे कैंपस में आ गए, यह समझ से परे है।"
एबीवीपी का आरोप और छात्रों की प्रतिक्रिया:
एबीवीपी के छात्र संगठन ने यह आरोप लगाया कि इस घटना के दौरान कुछ मुस्लिम छात्रों ने जामिया की छात्राओं को धमकाते हुए कहा कि उन्हें हिजाब पहनना पड़ेगा, अन्यथा उनके साथ रेप किया जाएगा। इस आरोप पर खुशी खातून, जो खुद मुस्लिम हैं, ने प्रतिक्रिया दी, "मुझे तो ऐसा कुछ नहीं बोला गया। ये आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं। मैं खुद इस कार्यक्रम का हिस्सा थी और वहां कोई इस तरह की बात नहीं हुई।"
बाहरी लोगों की मौजूदगी और प्रशासन की विफलता:
कई छात्रों ने प्रशासन पर उंगलियां उठाईं कि आखिर कैसे बाहरी लोग कैंपस में आए और नारेबाजी शुरू हुई। भानु प्रताप, जो दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन के वाइस प्रेसिडेंट कैंडिडेट हैं, को इस घटना के केंद्र में बताया जा रहा है। संत कुमार और अन्य छात्रों ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने बाहरी लोगों को कैंपस में प्रवेश करने दिया, जिससे माहौल खराब हुआ। एक अन्य छात्र ने कहा, "दिवाली पहले भी यहां मनाई गई है, लेकिन इस बार एबीवीपी के कुछ नेता और बाहरी लोग आए, जिससे यह झड़प हुई।"
घटना के बाद से जामिया का माहौल तनावपूर्ण है, लेकिन अभी तक कोई बड़ी हिंसा या प्रदर्शन नहीं हुआ है। एबीवीपी के छात्रों ने दिल्ली पुलिस से इस घटना की शिकायत करने का इरादा जताया है और मांग की है कि सीसीटीवी फुटेज की जांच की जाए। जामिया के प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान अभी तक जारी नहीं किया गया है।
यह घटना जामिया मिलिया इस्लामिया के कैंपस में शांति और सौहार्दपूर्ण माहौल को बिगाड़ने वाली थी। बाहरी हस्तक्षेप, धार्मिक नारेबाजी और छात्रों के बीच बढ़ते तनाव ने इस प्री-दीवाली कार्यक्रम को एक विवादास्पद घटनाक्रम में बदल दिया। प्रशासन और पुलिस द्वारा इस मामले की गंभीरता से जांच करना आवश्यक है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हो और कैंपस का शांति भंग न हो।