लखनऊ: प्रजापति समाज के सक्रिय नेता इंदर बजरंगी ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर एक विवादास्पद और महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने जातिवाद और न्याय के विभाजन को लेकर गहरी चिंता जताई है। अपने पोस्ट में बजरंगी ने लखनऊ में हुए भरत प्रजापति हत्याकांड पर सवाल उठाते हुए सरकार की नीतियों और उनके जातिगत प्रभावों पर निशाना साधा।
बजरंगी ने लिखा, "यदि यह जातिवाद नहीं है, तो क्या है? लखनऊ में विवेक तिवारी हत्याकांड में सरकार ने चार दिनों के अंदर त्वरित कार्रवाई करते हुए पीड़ित परिवार को ओएसडी (विशेष कार्याधिकारी) के पद पर नौकरी और 40 लाख रुपये मुआवजा दिया था। परन्तु भरत प्रजापति हत्याकांड में अब तक पीड़ित परिवार को नौकरी और मुआवजा क्यों नहीं दिया गया? क्या न्याय, नौकरी और मुआवजा भी जाति देखकर ही दिया जाता है?"
इस जातिवाद नहीं गए तो क्या कहें लखनऊ में विवेक तिवारी हत्याकांड में 4 दिन के अंदर सरकार ने दी थी ओएसडी के पद पर नौकरी और 40 लाख मुआवजा
— Prajapati Inder Bajrangi (@prajaptiinder) October 14, 2024
लखनऊ के डिलीवरी बॉय भरत प्रजापति हत्याकांड में अभी तक नौकरी और मुआवजा क्यों नहीं दिया??
क्या जाति ही आज ही सच्चाई है? जाति देखकर ही न्याय,… pic.twitter.com/PQ6cNvcnKn
यह सवाल सीधे तौर पर समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव और सत्ता में बैठे लोगों द्वारा किए जाने वाले भेदभाव की ओर इशारा करता है। विवेक तिवारी हत्याकांड में सरकार ने फौरन कार्रवाई की थी, जिससे यह सवाल उठता है कि भरत प्रजापति के परिवार को अब तक क्यों नहीं सुना गया।
भरत प्रजापति हत्याकांड
भरत प्रजापति, जो लखनऊ में एक डिलीवरी बॉय के रूप में काम कर रहे थे, की निर्मम हत्या ने शहर में सनसनी फैला दी थी। उनकी हत्या के बाद से ही उनके परिवार को न्याय दिलाने की मांग जोर पकड़ रही है। इंदर बजरंगी का यह बयान इसी संदर्भ में है, जहां वे जातिगत आधार पर होने वाले भेदभाव को उजागर करने की कोशिश कर रहे हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार
इंदर बजरंगी के इस बयान ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। लोग सोशल मीडिया पर उनके इस बयान का समर्थन कर रहे हैं और सरकार से सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर क्यों भरत प्रजापति के परिवार को अब तक न्याय नहीं मिला। वहीं, यह देखना बाकी है कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है।
बजरंगी ने अपनी पोस्ट के माध्यम से यह संदेश दिया है कि अगर समाज में जातिगत आधार पर न्याय और सहायता दी जाती रहेगी, तो यह न केवल एक गंभीर समस्या है, बल्कि हमारे लोकतंत्र की नींव को कमजोर करने वाली स्थिति भी है।