नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 5 अक्टूबर को किसानों के खातों में किसान सम्मान निधि जमा किए जाने के फैसले पर वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेड़े ने कड़ी आलोचना की है। वानखेड़े ने इस कदम को आचार संहिता का उल्लंघन करार देते हुए चुनाव आयोग पर तीखे सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा, "मोदी सरकार आचार संहिता की धज्जियां उड़ा रही है, क्योंकि उनमें नैतिकता नाम की कोई चीज नहीं है। आज मुझे शर्म आती है कि राजीव कुमार जैसा व्यक्ति चुनाव आयोग का नेतृत्व कर रहा है।"
वानखेड़े का कहना है कि अगर किसान सम्मान निधि की राशि एक या दो दिन देर से किसानों के खातों में जाती, तो देश में कोई संवैधानिक संकट नहीं खड़ा होता। उन्होंने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि इस योजना के तहत हरियाणा के किसानों को दी जा रही ₹2,000 की राशि के पीछे छिपे राजनीतिक मंशा पर सवाल उठाते हुए इसे हरियाणा की अस्मिता से जोड़ने का प्रयास किया है।
उन्होंने कहा, "हरियाणा के किसान राजनीति की धुरी हैं। वे वही किसान हैं जिन्होंने किसान आंदोलन के दौरान सबसे आगे बढ़कर काले कृषि कानूनों का विरोध किया और सरकार को कानून वापस लेने पर मजबूर किया।"
वानखेड़े ने इस बात पर भी जोर दिया कि हरियाणा के किसान सिर्फ आर्थिक लाभ से संतुष्ट नहीं होंगे। उन्होंने कहा, "हरियाणा के किसानों ने अपनी बेटियों के साथ हुए यौन शोषण के खिलाफ भी आवाज उठाई थी। अब मोदी सरकार हरियाणा के किसानों को ₹2,000 की किसान सम्मान निधि देकर उनकी अस्मिता और संघर्ष की बोली लगा रही है।"
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— 𝙈𝙪𝙧𝙩𝙞 𝙉𝙖𝙞𝙣 (@Murti_Nain) October 2, 2024
5 अक्टूबर वोटिंग वाले दिन मोदी किसानों के खाते में सम्मान निधि डालने पर वरिष्ठ पत्रकार #अशोक_वानखेड़े जी चूना आयोग पर भड़के।
मोदी सरकार आचार संहिता की धज्जियां उड़ा रही हैं, क्योंकि इनमें नैतिकता नाम की कोई चीज ही नहीं हैं,
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उनका आरोप है कि सरकार यह राशि देकर किसानों को अपने संघर्ष और 750 से अधिक किसानों की शहादत को भूलने के लिए प्रेरित कर रही है। उन्होंने कहा, "ये ₹2,000 देकर सरकार चाहती है कि किसान अपनी बेटियों के साथ हुए अन्याय को भी भुला दें। अब देखने वाली बात होगी कि हरियाणा के किसान इस राशि को लेकर अपने साथ हुए अत्याचारों को भूल जाते हैं या फिर मोदी सरकार को मुँहतोड़ जवाब देंगे।"
वानखेड़े के इस बयान के बाद सियासी गलियारों में हलचल मच गई है। हालांकि, मोदी सरकार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन चुनाव आयोग पर लगाए गए आरोपों ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है।
आने वाले समय में देखना होगा कि हरियाणा के किसान इस सम्मान निधि को किस नजरिए से देखते हैं और क्या यह आगामी चुनावों में किसी प्रकार का प्रभाव डालता है।