मिसा इसी की फिल्म इंडस्ट्री पर टिप्पणी: आधुनिकता की आड़ में गहरे जातिवाद के आरोप

मिसा इसी ने हाल ही में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री पर एक गंभीर और चौंकाने वाली टिप्पणी की है, जिसमें उन्होंने इंडस्ट्री में जातिवाद और पक्षपात पर खुलकर सवाल उठाए हैं। अपने लेख में उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री की चकाचौंध और चमक-धमक के पीछे छिपे सामाजिक भेदभाव और असमानता को उजागर किया। उनके अनुसार, भले ही फिल्म इंडस्ट्री आधुनिक दिखने और प्रगतिशील बातें करने का दावा करती हो, लेकिन हकीकत में यह सबसे बड़ा जातिवादी संस्थान है।

 जातिवाद का आरोप

मिसा इसी का मानना है कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक विशेष वर्ग के लोगों का वर्चस्व है। उनके अनुसार, यहां 100% आरक्षण केवल उन्हीं लोगों का है जो शक्तिशाली और संपन्न पृष्ठभूमि से आते हैं। उन्होंने कहा कि जिनके पास पैसा है, वे इस इंडस्ट्री में आसानी से जगह बना लेते हैं, लेकिन जिनके पास पैसे की कमी है, वे केवल छोटे-मोटे कामों तक ही सीमित रह जाते हैं।

 पुराने और नए दौर की तुलना

उन्होंने पुराने दौर की अदाकाराओं जैसे मीना कुमारी और वहीदा रहमान की अदाकारी की तारीफ करते हुए कहा कि आज की फिल्म इंडस्ट्री में उनकी जगह उन अभिनेत्रियों ने ले ली है जो सिर्फ शारीरिक प्रदर्शन तक सीमित रह गई हैं। उनका मानना है कि यह बदलाव इंडस्ट्री में गुणवत्ता की कमी का प्रतीक है। 

 फिल्म इंडस्ट्री में मुस्लिम समुदाय की भूमिका

मिसा इसी ने यह भी बताया कि फिल्म इंडस्ट्री में मुस्लिम समुदाय का बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि जिनके पास पैसा था, वे इस इंडस्ट्री में टिके रहे और भाईचारे की एक छवि बनाई गई। लेकिन जो आर्थिक रूप से कमजोर थे, वे इंडस्ट्री में मामूली कामों में ही उलझ कर रह गए।

 

 मेरिट और ऑस्कर की बहस

मिसा इसी ने फिल्म इंडस्ट्री में मेरिट (प्रतिभा) के मुद्दे पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री के लोग अक्सर मेरिट की बात करते हैं, लेकिन इसके बावजूद भारत से आज तक किसी अभिनेता ने अभिनय के लिए ऑस्कर नहीं जीता। उन्होंने दिव्या भारती का उदाहरण देते हुए कहा कि वह टॉप की अभिनेत्री बनने वाली थीं, लेकिन उनकी मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए। 

उन्होंने 1913 में बनी पहली हिंदी फिल्म से लेकर 1929 में स्थापित ऑस्कर तक की तुलना करते हुए कहा कि अब तक भारत को जिन लोगों ने ऑस्कर दिलाया है, वे केवल अल्पसंख्यक या हाशिये पर खड़े समुदायों से आए हैं, जैसे कि कार्तिकी गोंसाल्वेस (ईसाई), गुनीत मोंगा (आदिवासी), एमएम कीरवानी (तेलुगू), एआर रहमान (मुस्लिम) और सत्यजीत रे (नास्तिक)। 

 आशुतोष राणा पर निशाना

मिसा इसी ने अभिनेता आशुतोष राणा पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि वे शायद बेहतर तरीके से बता सकते हैं कि इंडस्ट्री में मेरिट के बावजूद कोई भी अभिनेता ऑस्कर क्यों नहीं जीत सका। उन्होंने सवाल उठाया कि जिस इंडस्ट्री में लोग अपने घर में शेर होते हैं, वहां आखिर कौन सी प्रतिभा दुनिया को साबित की जा रही है?

मिसा इसी की यह टिप्पणी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की चमक-धमक के पीछे छिपे सामाजिक और जातिगत भेदभाव पर गहरे सवाल उठाती है। यह चर्चा इस बात पर भी प्रकाश डालती है कि कैसे इंडस्ट्री में केवल पैसा और शक्ति ही नहीं, बल्कि सामाजिक संरचनाएं भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उनके इस बयान ने इंडस्ट्री के अंदरूनी पहलुओं पर एक नई बहस को जन्म दे दिया है।

Rangin Duniya

ranginduniya.com is a Professional Lifestyle, Health, News Etc Platform. Here we will provide you only interesting content, which you will like very much. We're dedicated to providing you the best of Lifestyle, Health, News Etc, with a focus on dependability and Lifestyle. We're working to turn our passion for Lifestyle, Health, News Etc into a booming online website. We hope you enjoy our Lifestyle, Health, News Etc as much as we enjoy offering them to you.

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने

INNER POST ADS

Follow Us