क्या आपको कभी यह महसूस हुआ है कि किसी बीमारी के बारे में पढ़कर या सुनकर कुछ समय बाद आपको लगने लगता है कि वह बीमारी आपके शरीर में भी है? अगर ऐसा लगातार हो रहा है और आप बार-बार डॉक्टरों के पास दौड़ते हैं, टेस्ट करवाते रहते हैं, तो संभव है कि आपको 'हाइपोकांड्रिया' या 'इलनेस एंजायटी डिसऑर्डर' (IAD) हो।
डॉ. रविंद्रपुरी, जो 35 वर्षों से मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रहे हैं, का कहना है कि यह एक मानसिक समस्या है जिसमें व्यक्ति को निरंतर अपनी सेहत को लेकर अत्यधिक चिंता होती है। इस स्थिति में लोग अक्सर महसूस करते हैं कि वे किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, भले ही मेडिकल टेस्ट्स नकारात्मक आ रहे हों।
हाइपोकांड्रिया के लक्षण
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति बार-बार अपनी सेहत को लेकर चिंतित रहता है। उसे यह लगता है कि डॉक्टर उसकी समस्या को समझ नहीं पा रहे हैं और वह बीमारी से जुड़ी लक्षणों को लगातार महसूस करता है। कभी-कभी लोग अलग-अलग बीमारियों के बारे में पढ़ते हैं और फिर वे खुद में उन बीमारियों के लक्षणों को महसूस करने लगते हैं। अगर ये चिंता 5-6 महीने से ज्यादा समय तक बनी रहती है, तो यह गंभीर रूप ले लेती है।
कैसे पहचाने कि आपको हाइपोकांड्रिया है?
1. आप अक्सर बीमारियों के लक्षणों को गूगल पर खोजते हैं।
2. डॉक्टरों के पास बार-बार जाते हैं लेकिन किसी की बात पर विश्वास नहीं करते।
3. दोस्तों और परिवार के सामने अपनी बीमारियों की चर्चा करते रहते हैं।
4. मेडिकल टेस्ट्स करवाते रहते हैं, फिर भी कोई संतोषजनक उत्तर नहीं पाते।
5. आपको लगता है कि आपको कोई गंभीर बीमारी है जो डायग्नोज़ नहीं हो रही है।
इलाज कैसे करें?
डॉ. रविंद्रपुरी के अनुसार, इस स्थिति से उबरने के लिए सबसे पहले अपने सोचने का तरीका बदलना ज़रूरी है। इसके लिए 'कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी' (CBT) एक प्रभावी तरीका हो सकता है। यदि आपके पास कोई मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं है, तो आप कुछ सरल उपाय घर पर भी कर सकते हैं।
- बीमारियों की चर्चा से दूरी: आपने यह तय कर लेना है कि बीमारियों के बारे में दूसरों से बातें कम करें।
- सकारात्मक सोच: एक नोटबुक में अपनी चिंताओं को लिखें और फिर शाम को उनके सकारात्मक जवाब खोजें।
- रियलिटी चेक: जब कोई लक्षण महसूस हो, तो यह मानें कि यह सिर्फ वहम है, वास्तविक बीमारी नहीं।
- मन की स्थिति का आकलन: अगर आप उदास या निराश हैं, तो सबसे पहले डिप्रेशन का इलाज करवाएं।
ओसीडी से तुलना
कई लोग हाइपोकांड्रिया को OCD (Obsessive Compulsive Disorder) समझने की गलती करते हैं, लेकिन यह दोनों स्थितियां अलग हैं। हाइपोकांड्रिया का OCD से ज्यादा संबंध 'जनरलाइज्ड एंजायटी डिसऑर्डर' (GAD) से है। हालांकि, OCD की कुछ दवाएं हाइपोकांड्रिया के इलाज में भी काम आती हैं, इसीलिए दोनों बीमारियों को लेकर भ्रम हो सकता है।
यदि आप लगातार अपनी सेहत को लेकर चिंता में रहते हैं और यह आपकी रोजमर्रा की जिंदगी पर असर डाल रही है, तो यह समय है किसी विशेषज्ञ से सलाह लेने का। हाइपोकांड्रिया का इलाज संभव है, बस सही दिशा में कदम उठाने की ज़रूरत है।
(लेखक: डॉ. रविंद्रपुरी, मनोविज्ञानी)