फतेहपुर जिले के किशनपुर थाना क्षेत्र के एकडला गांव में दलित ग्राम प्रधान के साथ हुई मारपीट की घटना ने एक बार फिर से जातिगत भेदभाव और अत्याचार का मामला उजागर किया है। गुरुवार रात को घटित इस घटना ने न सिर्फ इलाके में बल्कि पूरे समाज में जातिवादी मानसिकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
ग्राम प्रधान कमलेश सोनकर, जो एकडला गांव के निवासी हैं, ने बताया कि वह गुरुवार रात करीब आठ बजे अपने घर के बाहर कुर्सी पर बैठा हुआ था। वह अपने दिनचर्या के सामान्य कामकाज से निपटने के बाद थोड़ी देर आराम करने के उद्देश्य से बैठा था। इसी बीच, छयआना मोहल्ला सरौली का निवासी विपिन सिंह उसके दरवाजे के सामने से गुजरा। विपिन सिंह ने बिना किसी उकसावे के जातिसूचक गालियां देनी शुरू कर दीं और कमलेश सोनकर से कहा, "हमारे सामने कुर्सी पर बैठने की हिम्मत कैसे हुई?"
कमलेश सोनकर ने जब इस अभद्रता का विरोध किया और गालियों को लेकर आपत्ति जताई, तो विपिन सिंह ने उसे कुर्सी से गिराकर मारपीट करना शुरू कर दिया। अचानक हुए इस हमले से कमलेश को गहरी चोटें आईं और वह पूरी तरह से असहाय हो गया। हमले के बाद विपिन सिंह वहां से फरार हो गया, और कमलेश अपने परिजनों की मदद से पुलिस स्टेशन पहुंचा।
शर्मनाक😥👇
— Rajanikant_prabhanjan (@RajaneekantPan2) October 5, 2024
यूपी के फतेहपुर में एक दलित ग्राम प्रधान को दबंग ने प्रधान को गिराकर पीटा। साथ ही कहा कि उसके सामने कुर्सी पर बैठने की हिम्मत कैसे हुई,
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कमलेश की तहरीर पर किशनपुर थाना पुलिस ने तत्काल मामला दर्ज कर लिया और मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने प्राथमिक जांच में आरोपित विपिन सिंह के खिलाफ अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (SC/ST Act) के तहत केस दर्ज किया है और आगे की कार्रवाई की जा रही है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी आवश्यक कानूनी कदम उठाए जाएंगे और दोषी को सजा दिलाने के लिए साक्ष्यों को संकलित किया जा रहा है।
इस घटना के बाद इलाके में भय और आक्रोश का माहौल है। गांव के दलित समुदाय के लोग इस घटना से बेहद आहत हैं और उन्होंने प्रशासन से जल्द से जल्द न्याय दिलाने की मांग की है। उनका कहना है कि जातिगत भेदभाव और अत्याचार की ऐसी घटनाएं समाज को कमजोर करती हैं और दलित समुदाय को अपमानित करने का यह सिलसिला अब बंद होना चाहिए।
हालांकि, पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई की जा रही है, लेकिन ऐसे मामलों में समाज के सभी तबकों को एकजुट होकर जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ खड़ा होना पड़ेगा। इस घटना ने फिर से यह साबित किया है कि भले ही कानून और समाज में बदलाव के लिए कई प्रयास किए गए हैं, लेकिन अभी भी जातिगत भेदभाव की जड़ें गहरी हैं, जिन्हें उखाड़ फेंकने के लिए जागरूकता और सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है।