अररिया, बिहार – भाजपा सांसद प्रदीप सिंह ने हाल ही में एक बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि "अररिया में रहना है तो हिंदू बनना होगा।" इस बयान ने राजनीतिक हलकों में तूफान मचा दिया है, और इसे धार्मिक भेदभाव के रूप में देखा जा रहा है।
सांसद प्रदीप सिंह का मानना है कि इस प्रकार की टिप्पणियां उन्हें मेजॉरिटी वोटरों के बीच लोकप्रिय बनाएंगी और चुनावी मौसम में उनके पक्ष में मतदान की संभावना बढ़ाएंगी। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि यदि कोई मुस्लिम नेता ऐसी बात कहता, तो उसे तुरंत कार्रवाई का सामना करना पड़ता और संभवतः जेल भी जाना पड़ता।
प्रदीप सिंह ने आगे कहा, "अगर कोई मुस्लिम ऐसा कहता तो अब तक जेल में होता। हम सभी को यह समझना चाहिए कि जब बेटा या बेटी का विवाह करना होगा, तो परिवार और खानदान की तलाश कैसे करेंगे?"
इस विवादास्पद बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक प्रतिपक्ष ने निंदा की है। उनका कहना है कि इस प्रकार की बातें समाज में और अधिक विभाजन का कारण बन सकती हैं और यह भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है।
बिहार में इस समय चुनावी माहौल गरम है, और इस प्रकार के बयानों के साथ भाजपा के सांसदों की ओर से लगातार आ रहे विवादास्पद बयानों ने स्थिति को और भी जटिल बना दिया है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की बयानबाजी भाजपा को वोट बैंक के लिहाज से नुकसान पहुंचा सकती है, विशेषकर ऐसे समय में जब समाज में एकता और भाईचारे की आवश्यकता है।
अररिया में प्रदीप सिंह के इस बयान ने एक बार फिर धार्मिकता और राजनीति के बीच की जटिलता को उजागर किया है, और इसे लेकर आगे क्या कदम उठाए जाएंगे, यह देखना बाकी है।