आरंग विधानसभा क्षेत्र के ग्राम कठिया में गुरुवार शाम को एक अप्रत्याशित घटना घटी, जब बाबा शिवदास बंजारे द्वारा किए गए दिव्य शक्तियों के दावे फेल हो गए। शिवदास, जो एक महीने से बिना तेल के खाना बनाने और पानी पर चलने का दावा कर रहे थे, ने जब तालाब पार करने की कोशिश की, तो वे खुद तालाब में डूबने लगे। समय रहते उन्हें रेस्क्यू टीम द्वारा बचाया गया, जिससे सैकड़ों की भीड़ का भ्रम टूट गया।
बाबा का दावा और गांव में फैली चर्चा
42 वर्षीय शिवदास बंजारे ने एक माह पूर्व अपने ऊपर दिव्य शक्ति होने का दावा किया था। वे बिना तेल के खाना बनाने और खुले पैरों से आग के अंगारों पर चलने की बात कर रहे थे। उनकी बातों ने गांव में एक चमत्कारिक माहौल बना दिया था, और उनके दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ने लगी थी।
इसके बाद बाबा ने तालाब के पानी पर चलकर एक छोर से दूसरे छोर तक जाने का दावा किया। गांव में मीटिंग आयोजित की गई, जिसमें कामकाज बंद करके बाबा के दावे को देखने का फैसला हुआ। इस चमत्कार को देखने के लिए 10 अक्टूबर को शाम 6 बजे सैकड़ों लोग कठिया के बंजारे तालाब के किनारे जमा हो गए।
डूबते बाबा को बचाया गया
शिवदास ने तालाब में उतरते ही पूजा-अर्चना की, और फिर पानी के ऊपर चलने का प्रयास किया। लेकिन थोड़ी दूर जाने के बाद ही वे तालाब में डूबने लगे। मौके पर पहले से मौजूद मंदिर हसौद थाना प्रभारी सचिन सिंह और तहसीलदार राजकुमार साहू के नेतृत्व में पुलिस और रेस्क्यू टीम तैनात थी।
जब बाबा डूबने लगे, तो रायपुर से आई रेस्क्यू टीम के चार गोताखोर—अजय शर्मा, अमृत, जितेंद्र और राघवेंद्र—ने तुरंत तालाब में छलांग लगाई और बाबा को लाइफ जैकेट की मदद से बाहर निकाला।
भीड़ का टूटा भ्रम
बाबा के चमत्कारिक दावे को देखने के लिए आसपास के गांवों से करीब दो हजार लोग जमा हुए थे। हालांकि, जब बाबा तालाब में डूबने लगे और गोताखोरों ने उन्हें बचाया, तो लोगों का भ्रम टूट गया।
घटना के बाद गांव में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं। जहां पहले बाबा शिवदास की दिव्य शक्तियों की चर्चा हो रही थी, वहीं अब उनकी वास्तविकता को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इस घटना ने लोगों के बीच भ्रम और वास्तविकता के बीच की रेखा को और भी स्पष्ट कर दिया।
प्रशासन की त्वरित कार्रवाई
गांव में भीड़ और संभावित खतरे को देखते हुए प्रशासन ने पहले ही सतर्कता बरती थी। पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी ने स्थिति को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाई। यदि समय पर गोताखोर न होते, तो स्थिति गंभीर हो सकती थी।
इस घटना के बाद गांव में शांति तो वापस आ गई है, लेकिन बाबा शिवदास के चमत्कारिक दावे की सच्चाई सभी के सामने आ गई है। अब लोग इस घटना को लेकर और अधिक सतर्क हो गए हैं, और भविष्य में ऐसे दावों पर विश्वास करने से पहले सोचने की बात कर रहे हैं।