हरियाणा, एक कृषि प्रधान राज्य, जहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है, और जहाँ दलित समाज की संख्या भी महत्वपूर्ण है, वर्तमान में राजनीतिक और सामाजिक बहस का केंद्र बना हुआ है। जैकी यादव, जिनकी लेखनी हमेशा स्पष्ट और बेबाक रही है, ने हरियाणा सरकार की हालिया नीतियों पर अपनी राय रखी है।
यादव ने लिखा कि हरियाणा के किसान और दलित समाज, दोनों ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) को इस बार भी सत्ता में बिठाया, जिससे भाजपा ने तीसरी बार हरियाणा की सत्ता संभाली है। हालांकि, यादव का कहना है कि अब इन दोनों ही वर्गों को बीजेपी ने अपने हालिया फैसलों के जरिए "तोहफ़ा" दिया है।
अनुसूचित जाति आरक्षण में कोटे का विवाद
हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जातियों के आरक्षण में "कोटे के अंदर कोटा" लागू करने का फैसला किया है। यह नीति राज्य में दलित समाज के बीच बड़ा मुद्दा बन गई है, और इसका कई दलित नेता खुलकर विरोध कर रहे हैं। यादव ने अपनी टिप्पणी में इस मुद्दे को उठाया और सरकार पर सवाल खड़े किए कि ऐसा कदम उठाने की क्या जरूरत थी, जब यह नीति अधिकांश दलित समुदाय के नेताओं द्वारा आलोचना का सामना कर रही है।
किसानों के खिलाफ सख्त कदम
किसानों के लिए हरियाणा सरकार ने हाल ही में एक और सख्त नीति का ऐलान किया है, जिसमें कहा गया है कि पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ अब FIR दर्ज की जाएगी। पराली जलाने से उत्पन्न प्रदूषण का मुद्दा हर साल देश भर में चिंता का कारण बनता है, लेकिन किसानों का कहना है कि उनके पास पराली को नष्ट करने के अन्य साधन उपलब्ध नहीं हैं।
यादव ने तंज कसते हुए लिखा, "आया न मज़ा? अभी क्या हुआ, जो किया है उसका मज़ा तो लेना ही पड़ेगा न!" यह टिप्पणी हरियाणा सरकार की नीतियों पर एक तीखा व्यंग्य है, जिसमें किसानों और दलित समाज के खिलाफ लिए गए कड़े फैसलों पर सवाल उठाया गया है।
हरियाणा में यह घटनाक्रम राजनीतिक और सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, और राज्य की राजनीति पर इसका गहरा प्रभाव पड़ सकता है। अब यह देखना बाकी है कि BJP सरकार इन नीतियों के बाद आने वाले समय में कैसे जनता के बीच अपनी पकड़ बनाए रखती है।