हाल ही में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें डॉ. शीतल यादव ने जातिवाद और सामाजिक भेदभाव से जुड़े एक मार्मिक किस्से को साझा किया। यह कहानी समाज में व्याप्त उस कड़वे सच को उजागर करती है, जहां जातिवाद की जड़ें अब भी मजबूत हैं, और ये न सिर्फ संबंधों, बल्कि इंसान की खुशियों और भविष्य को भी प्रभावित करती हैं।
डॉ. शीतल यादव ने अपने पोस्ट में बताया कि उनका एक करीबी दोस्त, जो कि एक प्रतिष्ठित बैंक में मैनेजर के पद पर कार्यरत है, दलित समुदाय से आता है। वह पिछले पांच वर्षों से एक लड़की के साथ प्रेम संबंध में था, जो यादव समाज से ताल्लुक रखती थी। दोनों एक-दूसरे से बेहद प्यार करते थे और शादी करना चाहते थे।
जातिवाद की दीवार बनी रिश्ते में रुकावट
डॉ. शीतल ने लिखा कि जब इस युगल ने शादी के लिए लड़की के माता-पिता से बात की, तो उन्हें कठोर और निराशाजनक प्रतिक्रिया मिली। लड़की के पिता, जो कि अयोध्या में एक इंटर कॉलेज चलाते हैं, ने इस रिश्ते से साफ इनकार कर दिया। इसका कारण मात्र यह था कि लड़का दलित समुदाय से आता है। लड़की ने कई बार अपने माता-पिता को मनाने की कोशिश की, पर उसे परिवार की तरफ से सिर्फ जाति के नाम पर समाज का हवाला दिया गया। यहां तक कि लड़की के पिता ने कहा, “मुझे जहर दे दो, लेकिन मैं एक दलित घर में शादी की इजाजत नहीं दूंगा।”
इस घटनाक्रम ने उस मानसिकता को दिखाया, जो अब भी समाज के एक बड़े हिस्से में व्याप्त है, जहां जाति का लेबल इंसान के मान-सम्मान, प्यार और संबंधों से ऊपर रखा जाता है।
मजबूरी में टूट गया रिश्ता
लड़की और लड़का, दोनों ही समझदार थे और उन्हें स्थिति की गंभीरता का आभास हो चुका था। दोनों ने अपने रिश्ते को खत्म करने का निर्णय लिया, क्योंकि उनके पास अपने परिवारों के खिलाफ बगावत करने का कोई विकल्प नहीं था। हालांकि, अगर वे चाहते तो परिवार से बगावत करके एक साथ रह सकते थे, लेकिन उन्होंने परिवार और समाज के दबाव के आगे अपने प्यार को त्यागने का रास्ता चुना।
डॉ. शीतल ने लिखा कि यह हैरान करने वाली बात है कि एक तरफ लड़की के परिवार ने जातिवाद के आधार पर उसका रिश्ता खत्म करवा दिया, वहीं दूसरी तरफ जब उन्होंने लड़की की शादी दूसरी जगह तय की, तो उन्होंने दहेज के रूप में 20 लाख रुपये मांगे। लड़की का परिवार इस मांग को स्वीकार भी कर चुका है। यह घटना समाज के उस दोहरे मापदंड को दर्शाती है, जहां जाति के नाम पर प्यार को ठुकरा दिया जाता है, लेकिन दहेज जैसे कुप्रथा को खुलेआम स्वीकार किया जाता है।
जातिवाद की जड़ें अब भी गहरी
डॉ. शीतल ने अपने पोस्ट में जातिवाद पर गहरी चिंता जताते हुए लिखा कि यह घटना सिर्फ एक उदाहरण है कि कैसे जाति के आधार पर संबंधों को खत्म किया जाता है। उन्होंने इस बात पर भी सवाल उठाया कि लड़की के पिता, जो एक शिक्षण संस्थान चलाते हैं, स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को कैसी शिक्षा देंगे, जब उनकी खुद की सोच जातिवाद से ग्रसित है।
उन्होंने कहा, "यह कितना अजीब है कि इस तरह का जातिवादी इंसान एक स्कूल का संचालन करता है। वह स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को क्या ही शिक्षा देता होगा।" डॉ. शीतल ने यह भी लिखा कि समाज में जातिवाद के नाम पर हर दिन कई घर और रिश्ते बर्बाद होते हैं।
समाज में बदलाव की जरूरत
पोस्ट में डॉ. शीतल ने समाज में हो रहे इस अन्याय पर सवाल उठाया और कहा कि जब तक समाज अपनी संकीर्ण मानसिकता से बाहर नहीं आएगा, तब तक इस प्रकार के भेदभाव और विभाजन होते रहेंगे। उन्होंने कहा, “यह समाज दिखावा करता है कि उन्हें जातिवाद से कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन जब बात अपनी खुद की जाति या धर्म की आती है, तो सब एक साथ बंट जाते हैं।”
~Castism/ जातिवाद - सच्ची कहानी~
— Dr. Sheetal yadav (@Sheetal2242) October 16, 2024
मेरा एक दोस्त है जो कि बैंक में मैनेजर के पद पर कार्यरत है
वो एक दलित परिवार से ताल्लुक रखता है वो पिछले 5 साल से
एक लड़की के साथ रिश्ते में था जो की एक यादव परिवार से ताल्लुक रखती है।
लड़की के पिता अयोध्या जिले में ही एक इंटर कालेज चलाते हैं।… pic.twitter.com/Qsg0UjXsmK
डॉ. शीतल ने इस घटना के जरिए यह भी बताया कि केवल बच्चे पैदा कर देना किसी को अच्छा पिता नहीं बनाता। एक अच्छा पिता वह होता है, जो अपने बच्चों की इच्छाओं को समझे और उनके फैसलों का सम्मान करे। उन्होंने लिखा कि अगर एक पिता अपनी बेटी की पसंद को स्वीकार कर ले, तो वह अपनी बेटी की नजर में खुद का कद ऊंचा कर सकता है।
यादव समाज पर टिप्पणी
चूंकि यह घटना एक यादव परिवार से संबंधित थी, डॉ. शीतल यादव ने अपने पोस्ट में खुद यादव समाज पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा, "मैं खुद एक यादव हूं, लेकिन मुझे यह स्वीकार करना होगा कि हमारे समाज में जातिवाद की कट्टरता अब भी बहुत गहरी है।" उन्होंने ब्राह्मणों की तुलना करते हुए कहा कि ब्राह्मण जातिवाद को खुलकर निभाते हैं, जबकि यादव समाज इसे छुपाने की कोशिश करता है, लेकिन अंदर से वे भी उतने ही कट्टर होते हैं।
बदलाव की उम्मीद छोड़ दी
डॉ. शीतल ने अपने पोस्ट का अंत करते हुए लिखा कि उन्होंने अब समाज के बदलने की उम्मीद ही छोड़ दी है। उन्होंने कहा, "इस देश के लोग बदलेंगे, मैंने तो इसकी उम्मीद ही छोड़ दी है। इनका सड़ा हुआ सिस्टम एक दिन इन्हीं को खत्म कर देगा।"
डॉ. शीतल यादव की यह पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है, और लोग इस पर जमकर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कई लोग इस बात से सहमत हैं कि जातिवाद और दहेज प्रथा जैसे मुद्दे आज भी हमारे समाज में गहरी जड़ें जमाए हुए हैं। वहीं, कुछ लोगों ने इसे समाज का कटु सत्य बताया, जिससे मुंह मोड़ना अब संभव नहीं है।
यह पोस्ट हमारे समाज के उस अंधेरे पक्ष को उजागर करती है, जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। जातिवाद, प्रेम और परिवार के बीच की इस जंग ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि समाज में बदलाव की लड़ाई अब भी लंबी है।
लेख डॉ. शीतल यादव की x (ट्विटर ) पोस्ट पर आधारित है।