कानपुर, उत्तर प्रदेश: रायपुरवा इलाके के एक होटल में 27 वर्षीय युवती तहरुनिशा ने आत्महत्या कर ली। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और जब इस घटना की जांच की गई, तो एक दिल दहला देने वाली कहानी सामने आई। यह कहानी शादी, संघर्ष, और अंत में निराशा की है, जो समाज के बदलते मूल्यों और रिश्तों की जटिलताओं को उजागर करती है।
बचपन का प्यार और कोर्ट मैरिज
14 साल की उम्र में तहरुनिशा ने अपने जीवन के सबसे बड़े फैसले में से एक लिया। वह नसीर शाह की बेटी थी, जिसने विनोद नामक एक युवक के साथ भागकर शादी का सपना देखा। हालांकि, उस समय तहरुनिशा नाबालिग थी, जिसके चलते विनोद को पोक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। इस घटना ने उनकी जिंदगी में एक बड़ा मोड़ ला दिया।
समय के साथ, दोनों ने कोर्ट मैरिज की और एक साथ रहने लगे। उनके दो बच्चे भी हुए। लेकिन, तहरुनिशा की जिंदगी में खुशी ज्यादा समय तक नहीं टिक पाई।
घर से निकाली गई तहरुनिशा
करीब ढाई साल पहले, तहरुनिशा और विनोद के बीच तनाव बढ़ने लगा, और आखिरकार विनोद ने उसे घर से निकाल दिया। अपने बच्चों के साथ घर से बेघर हुई तहरुनिशा की जिंदगी अब एक और मोड़ पर आ गई।
कोर्ट मैरिज.. तलाक... लिव इन और अब सुसाइड
— TRUE STORY (@TrueStoryUP) October 21, 2024
यह कहानी UP के कानपुर की है। रायपुरवा के होटल में तहरुनिशा (27)नाम की युवती ने सुसाइड कर लिया। पुलिस ने लाश को PM के लिए भेजा। पड़ताल की तो सच सामने आया। 14 साल की उम्र में नसीर शाह की बेटी तहरुनिशा ने विनोद के साथ भागकर शादी का सपना… pic.twitter.com/5SjoRmdKrN
लिव-इन में सागर का सहारा
घर से निकाले जाने के बाद, तहरुनिशा को सागर नामक एक युवक ने सहारा दिया। दोनों ने साथ रहने का फैसला किया और ढाई साल तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहे। लेकिन इस रिश्ते में भी तनाव पैदा होने लगा।
परिवार की बेरुखी और आत्महत्या
गत दिवस, तहरुनिशा अपने मायके लौटी थी, जहां उसके भाई की शादी होने वाली थी। लेकिन परिवार ने उसे घर में प्रवेश नहीं करने दिया। अपने परिवार और रिश्तों से मिली इस बेरुखी ने उसे गहरे अवसाद में धकेल दिया। अंततः उसने रायपुरवा के एक होटल में कमरा लिया और आत्महत्या कर ली।
पुलिस जांच और समाज के लिए सवाल
पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है, लेकिन तहरुनिशा की मौत समाज में रिश्तों की बदलती परिभाषाओं और व्यक्तिगत संघर्षों की ओर एक गंभीर संकेत है। एक ओर जहां शादी और लिव-इन संबंधों के माध्यम से लोग आजाद रहना चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर समाज के दबाव और व्यक्तिगत संबंधों में बढ़ती असुरक्षाएं ऐसे दुखद अंत की ओर ले जा रही हैं।
तहरुनिशा की कहानी न केवल कानपुर बल्कि पूरे समाज के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करती है—क्या व्यक्तिगत स्वतंत्रता और रिश्तों के बीच संतुलन बनाना वास्तव में इतना मुश्किल हो गया है?