बहराइच, 15 अक्टूबर 2024 - बहराइच में हो रही हिंसा को लेकर भीम आर्मी प्रमुख और नगीना के सांसद चंद्रशेखर आजाद ने सरकार और कानून व्यवस्था पर तीखी टिप्पणी की है। उनका कहना है कि बहराइच में लगातार हिंसा हो रही है, लेकिन राज्य की पुलिस और प्रशासन इस पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रही है।
आजाद ने कहा, "बहराइच में कल से लगातार हिंसा हो रही है। जब सरकार कानून व्यवस्था को लागू करने में असफल हो जाती है, तो ऐसी हिंसा होती है। मुझे गोपाल की मौत पर गहरा दुख है, मेरी संवेदनाएं उसके परिवार के साथ हैं। लेकिन सवाल यह है कि ऐसी स्थिति क्यों उत्पन्न हुई? पुलिस कहां थी? प्रशासन का क्या काम था? यह सिर्फ कानून व्यवस्था की विफलता नहीं है, बल्कि इंटेलिजेंस की भी नाकामी है।"
उन्होंने कहा कि स्थानीय इंटेलिजेंस यूनिट (LIU) की नाकामी और प्रशासन की लापरवाही इस हिंसा के पीछे मुख्य कारण है। "अगर किसी ने हिंसा को उकसाने की कोशिश की है, तो सरकार क्या कर रही है? और अगर यह मामला इतने लंबे समय से चल रहा है, तो यह बिना सरकार के संरक्षण के संभव नहीं है। सरकार को राजधर्म निभाना चाहिए और सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए," आजाद ने जोड़ा।
चंद्रशेखर आजाद ने इस घटना को राज्य में व्याप्त कानून व्यवस्था की खराब स्थिति का उदाहरण बताया। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की और कहा कि उन्हें राजधर्म निभाते हुए इस हिंसा को रोकना चाहिए।
इसके साथ ही, आजाद ने प्रदेश के अन्य हिस्सों में दलित समुदाय के खिलाफ हो रही हिंसा पर भी गहरी चिंता व्यक्त की। "लखनऊ में मैंने देखा कि कैसे एक दलित युवक को पुलिस ने मार डाला। पुलिस की यह बर्बरता साफ तौर पर कानून व्यवस्था की असफलता को दर्शाती है। एफआईआर दर्ज करने के लिए दलित परिवार के लोगों को सड़कों पर उतरना पड़ा और उन्हें लाठियों से मारा गया।"
उन्होंने कहा, "चार दलितों की हत्या की गई, जिनमें दो छोटी बच्चियां भी शामिल थीं। और अब विधायक थप्पड़ खा रहे हैं, बीजेपी के लोग आपस में लड़ रहे हैं। ऐसे में पिछड़े और दलित वर्ग के लोगों के लिए जीवन दूभर हो गया है। मैंने कल कहा था, और आज फिर कह रहा हूं कि उत्तर प्रदेश में दलितों की जान दाल से भी सस्ती हो गई है। यह सच है कि दाल महंगी है और दलित की जान सस्ती।"
आजाद का यह बयान उत्तर प्रदेश में हालिया घटनाओं के बाद कानून व्यवस्था और दलितों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है।