नई दिल्ली - प्रसिद्ध वैज्ञानिक और सामाजिक कार्यकर्ता गौहर रजा ने हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी.वाई. चंद्रचूड़ की टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। चंद्रचूड़ ने अपने पैतृक गांव खेड़ तालुका के कन्हेरसर में एक सभा में बोलते हुए कहा था कि अयोध्या-बाबरी मस्जिद विवाद जैसे जटिल मामलों के समाधान के लिए उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की थी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए गौहर रजा ने कहा, "चंद्रचूड़ जी, आपको ईश्वर से प्रार्थना करने के लिए नहीं, बल्कि संविधान के अनुसार न्याय करने के लिए 'CJI की गद्दी' पर बिठाया गया है।"
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने हाल ही में अपने पैतृक गांव में एक सभा को संबोधित करते हुए बताया कि अयोध्या विवाद उनके न्यायिक जीवन का एक कठिन समय था, और उन्होंने इस दौरान ईश्वर से मार्गदर्शन की प्रार्थना की थी। उन्होंने कहा, "अक्सर हमारे पास मामले ऐसे आते हैं जिनका समाधान कठिन होता है, और अयोध्या का मामला भी ऐसा ही था, जो तीन महीने तक मेरे सामने था। उस समय मैंने भगवान से प्रार्थना की कि वह इसका समाधान ढूंढें।"
चंद्रचूड़ जी, आपको ईश्वर से प्रार्थना करने के लिए नहीं, संविधान से हल निकालने के लिए 'CJI की गद्दी' पर बिठाया गया है : गौहर रजा
— Sandeep Chaudhary commentary (@newsSChaudhry) October 22, 2024
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गौहर रजा ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि न्यायपालिका का कार्य संविधान और कानून के आधार पर फैसला करना है, न कि किसी धार्मिक आधार पर। "न्यायिक प्रणाली में आस्था रखने वाले नागरिक न्यायाधीशों से अपेक्षा करते हैं कि वे संविधान को प्राथमिकता देंगे, न कि अपने व्यक्तिगत धार्मिक विश्वासों को," रजा ने कहा।
अयोध्या-बाबरी मस्जिद विवाद देश के सबसे जटिल और संवेदनशील मामलों में से एक रहा है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। हालांकि, इस फैसले की विविध प्रतिक्रियाएं सामने आईं, और यह मामला सामाजिक और राजनीतिक तौर पर भी बेहद महत्वपूर्ण रहा।
गौहर रजा की टिप्पणी ने न्यायिक स्वतंत्रता और धार्मिक आस्थाओं के बीच की सीमा को लेकर एक महत्वपूर्ण बहस को जन्म दिया है। उनका कहना है कि न्यायिक अधिकारियों को अपने व्यक्तिगत धार्मिक विश्वासों को न्यायिक प्रक्रिया से दूर रखना चाहिए और संविधान के तहत दिए गए अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।
इस टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ गई है। कई लोग चंद्रचूड़ की ईमानदारी और उनकी प्रार्थना को एक मानवीय पहलू के रूप में देख रहे हैं, वहीं अन्य लोग न्यायिक प्रणाली में धर्म के प्रभाव को लेकर चिंता जता रहे हैं।
गौहर रजा का यह बयान इस बात को रेखांकित करता है कि न्यायपालिका की जिम्मेदारी संविधान के प्रति निष्ठावान रहकर न्याय सुनिश्चित करने की है, और इस पर कोई भी धार्मिक हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।