बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश: बुलंदशहर जिले के सेखपुर-गंधपुर गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसमें 26 वर्षीय जीतू वाल्मीकी को काम पर न आने के आरोप में कुछ जातिवादी तत्वों ने बुरी तरह पीटा, जिसके चलते उसकी मौत हो गई। इस क्रूर घटना ने पूरे इलाके में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है और सोशल मीडिया पर भी इस घटना की निंदा की जा रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जीतू वाल्मीकी काम पर न आने को लेकर कुछ ऊंची जाति के लोगों के निशाने पर था। उन पर आरोप है कि उन्होंने जीतू को गांव के एक सुनसान इलाके में पकड़कर बेरहमी से पीटा, जिससे उसकी हालत गंभीर हो गई। बाद में उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
इस घटना से एक बार फिर उत्तर प्रदेश में जातिवाद से जुड़ी हिंसा की कड़वी सच्चाई सामने आई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि क्षेत्र में अक्सर जातिगत आधार पर दबाव और उत्पीड़न की घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन इस बार यह हिंसा एक निर्दोष व्यक्ति की जान लेने तक जा पहुंची।
उत्तर प्रदेश के जिला बुलंदशहर के सेखपुर–गंधपुर के जीतू वाल्मीकी को काम पर न आने को लेकर जातिवादियों ने इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई।
— Himanshu Valmiki (@HimanshuValmi13) October 12, 2024
इन घटनाओं से एहसास होता है, कि उत्तर प्रदेश में @Uppolice का कोई भय नहीं है।
दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।@BhimArmyChief@dgpup
जीतू वाल्मीकी के परिवार और गांव के लोगों में इस घटना को लेकर भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि पुलिस और प्रशासन जातिगत अत्याचारों को रोकने में नाकाम साबित हो रहे हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, "हम चाहते हैं कि दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो। अगर ऐसे अपराधियों को नहीं रोका गया तो समाज में न्याय की उम्मीद खत्म हो जाएगी।"
हालांकि, पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। स्थानीय पुलिस अधिकारी का कहना है कि मामले में संबंधित आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, और दोषियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। पुलिस ने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
इस घटना के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मच गई है। कई दलों के नेताओं ने इस घटना की निंदा की है और उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाए हैं। विपक्षी नेताओं ने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है और कहा है कि प्रदेश में जातिगत हिंसा को बढ़ावा देने वाले तत्वों पर लगाम लगाने की सख्त जरूरत है।
जीतू वाल्मीकी की मौत ने एक बार फिर इस कड़वी सच्चाई को उजागर किया है कि जातिवाद अभी भी हमारे समाज के गहरे हिस्सों में जड़ें जमाए हुए है। इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर कब तक हमारे समाज में जातिगत भेदभाव और हिंसा का ये सिलसिला चलता रहेगा। अब देखना यह होगा कि पुलिस और प्रशासन इस मामले में कितना त्वरित और कठोर कदम उठाते हैं ताकि न्याय हो सके और भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं को रोका जा सके।