हाल ही में, हिमांशु मिश्रा ने एक पत्रकार को दिए इंटरव्यू में राष्ट्रीय मीडिया की पोल खोलकर सबको चौंका दिया। कुछ दिन पहले, हिमांशु एक राष्ट्रीय चैनल पर रोते हुए दिखाई दिए थे। उन्होंने बताया था कि वह ऑनलाइन गेम खेलने के कारण 96 लाख रुपये के कर्ज में फंस गए हैं। इस दौरान, उनके माता-पिता उनसे बात नहीं करते, जिसे लेकर वह बेहद भावुक हो गए थे। इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर ताबड़तोड़ वायरल होकर सबका ध्यान खींचा।
आज, जब हिमांशु ने एक पत्रकार से बातचीत की, तो उन्होंने अपने अनुभव को साझा किया। पत्रकार ने पूछा, "आपने कई राष्ट्रीय चैनलों पर इंटरव्यू दिया है। वहां आपसे क्या सवाल किए गए थे?" हिमांशु ने जवाब देते हुए कहा, "जब मैंने गेम बंद करने की बात की, तो वहां के लोग मुझसे कहते थे, 'थोड़ा रो के दिखाओ, चैनल की रीच ज्यादा बढ़ती है।' मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्यों रोऊं।"
हिमांशु ने बताया कि चैनल के लोग बार-बार उन्हें रोने के लिए कहते थे। "एक बार तो उन्होंने कहा, 'याद करो अपनी गर्लफ्रेंड को, तब रोना आ जाएगा।' जब मैंने कहा कि मुझे रोना नहीं आ रहा, तो उन्होंने कहा, 'कोई गाना सुनाओ, शायद तब रोना आ जाए।' तब अरिजीत सिंह का गाना बजाया गया, लेकिन फिर भी मुझे रोना नहीं आया।"
उनकी इस कहानी ने साफ किया कि कई बार समाचार चैनल रियलिटी को नकारते हुए दर्शकों के सामने एक शो के रूप में चीजों को पेश करने की कोशिश करते हैं। "आखिर में, मैंने अपने हाथों को सिर पर रखा और कहा कि मुझे रोना आ रहा है," उन्होंने बताया।
लो भाई देख लो मिश्रा को😆😆😆📢📢📢
— Rationality 😎😎 (@rationalguy777) October 3, 2024
इसने खुद ही मीडिया की पोल खोल दी
कहा कि "न्यूज वालो ने रोने की एक्टिंग करने को बोला ,gf को याद करके ,अरिजीत के गाने चला के रोने का माहौल बनवाया" 😆😆
यही है मनु मीडिया का कमाल 😂😂 pic.twitter.com/s2clWQN2sJ
हिमांशु ने आगे कहा, "मेरे लिए यह समझना मुश्किल था कि क्या यह सच में न्यूज चैनल है या फिर हम मुंबई के फिल्म सिटी में हैं। मैंने सोचा कि मुझे सिर्फ एक्टिंग करनी है।" लेकिन, अंत में उन्होंने यह भी कहा कि अब उनके परिवार से बातचीत हो गई है और सब कुछ सामान्य हो गया है। "पैसा नहीं है, लेकिन परिवार का साथ वापस मिल गया है," उन्होंने कहा।
हिमांशु मिश्रा का यह बयान न केवल एक व्यक्तिगत अनुभव है, बल्कि यह मीडिया की उस भूमिका को भी उजागर करता है, जहां सच को एक शो बनाकर पेश किया जाता है। उनका यह इंटरव्यू हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हमें खबरों में केवल संवेदनाएं देखने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
इस तरह, हिमांशु की कहानी ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि हमारी समाज में गेमिंग और कर्ज की समस्या एक गंभीर मुद्दा है, लेकिन इसे sensationalize करने का तरीका क्या सही है? अब देखने वाली बात होगी कि क्या इस मुद्दे पर मीडिया कुछ ठोस कदम उठाता है या फिर इस तरह की कहानियों का सिलसिला जारी रहेगा।