राजस्थान के नागौर जिले में जातिवादी टिप्पणी करने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। सामाजिक मीडिया प्लेटफॉर्म X पर राज बैरवा ने जातिवादी अध्यापक भेरा राम जाट को निशाना बनाते हुए कहा कि जब तक वह SC/ST वर्ग से माफी नहीं मांगते, वह इस मामले को उठाते रहेंगे। उन्होंने भेरा राम को चेतावनी दी कि "आप और आपका परिवार बाबा साहेब के दिए आरक्षण की बदौलत ही नौकरी पर लगे हैं।"
भेरा राम ने कलेक्टर टीना डाबी पर अभद्र टिप्पणियां की हैं, जिसके बाद नागौर पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए जा रहे हैं। बैरवा ने कहा, "नागौर पुलिस कान में तेल डालकर बैठी है," और मामले की जांच की मांग की।
"भैराराम "नामक व्यक्ति एक आईएएस अधिकारी पर अनर्गल टिप्पणी किए जा रहा है
— The Rathore 🇮🇳 (@UpendraRat98694) October 14, 2024
क्या इस पर कोई उचित कार्रवाई होगी....? या फिर इसे लोगों की छवि पर कमेंट करने के कुछ व्यक्तिगत अधिकार दिए गए हैं
इस तरह किसी सरकारी सेवा मे कार्यरत व्यक्ति का खुलकर खेलना क्या सरकार को चुनौती पैदा नही करता,… pic.twitter.com/ezQjDkzZE9
भेरा राम की टिप्पणियों में टीना डाबी और उनके पति, आईएएस प्रदीप गवांडे, का नाम लिया गया। भेरा राम ने लिखा, "हे भगवान अगले जन्म मोहे प्रदीप गावंडे ही कीज्यो,"आज पुरानी वाली गुनगुना रही थी मै तेरी टीना तू मेरा गवांडे" जो कि एक अभद्र टिप्पणी मानी जा रही है। बैरवा ने आगे कहा कि किसी कलेक्टर के खिलाफ इस तरह की टिप्पणियां करना कानूनी अपराध है।
जब तक राजस्थान नागोर के जातिवादी अध्यापक @JATbera1 भेराराम जाट SC/ST वर्ग से इस मामले में माफी नही मांगेगा तब मैं इस मामले को उठाता रहूंगा।
— Raj Bairwa (@RajuBairwamahwa) October 13, 2024
भीम के संविधान..!! तो आपका कोनसा संविधान है भेराराम जी।
आप और आपका परिवार बाबा साहेब के दिए आरक्षण की बदौलत ही नोकरी पर लगे है।#माफी_मांगे pic.twitter.com/7dJ69YjETL
भेरा राम ने यह भी कहा, "बिना भीम के संविधान आपकी इस प्यारी टीना जी का प्री पास नहीं था," इस टिप्पणी ने उनके जातिवादी दृष्टिकोण को और उजागर किया है। टीना डाबी, जो UPSC परीक्षा में पहले स्थान पर रहीं, को निशाना बनाकर की गई ये टिप्पणियां उनके योगदान को खारिज करने का प्रयास प्रतीत होती हैं।
इस पूरे मामले ने एक बार फिर राजस्थान में जातिवाद और पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाए हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं और समुदाय के नेताओं ने नागौर पुलिस से उचित कार्रवाई की मांग की है। इस घटनाक्रम को लेकर स्थानीय नागरिकों में रोष व्याप्त है, और यह मामला अब राज्य के राजनीतिक हलकों में भी चर्चा का विषय बन गया है।
क्या नागौर पुलिस इस मामले में उचित कदम उठाएगी, यह देखना होगा। इस स्थिति ने राज्य में जातिगत संवेदनशीलता को फिर से उभार दिया है और समाज में समरसता की आवश्यकता को रेखांकित किया है।