भरतपुर, राजस्थान – भारतीय राजनीति में एक नई आवाज़ ने बहुजन समाज के आत्म-सम्मान और महिला नेतृत्व के महत्व को एक नई दिशा दी है। 26 साल की संजना जाटव, भरतपुर की सांसद, आज देश की सबसे बड़ी पंचायत में बैठी हैं, लेकिन उनका सफर आसान नहीं रहा। एक महिला नेता के रूप में उन्हें अनगिनत चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, और हाल ही में उनका सामना हुआ एक अपमानजनक घटना से जो भारतीय राजनीति में बहुजन समाज की महिलाओं की स्थिति पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।
भाजपा विधायक ने एक दलित सांसद संजना जाटव को भरी सभा में अपमान किया क्या अब SC ST ने चूड़ियां पहन रखी है जो अब तक चुप है
— आदिवासी समाचार (@AadivasiSamachr) October 8, 2024
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हालिया वीडियो में, अलवर जिला परिषद की बैठक के दौरान एक ऐसी घटना हुई जिसने बहुजन समाज की महिलाओं के आत्म-सम्मान और उनके अधिकारों को लेकर एक गंभीर बहस को जन्म दिया। बैठक में, कठूमर विधानसभा क्षेत्र के विधायक रमेश चंद खींची, सांसद संजना जाटव पर चिल्ला रहे थे और मेज पीट रहे थे। यह सब तब हुआ जब सांसद ने सरपंचों द्वारा विधायक को नोटों की माला पहनाने का मुद्दा उठाया। हालांकि माहौल अत्यधिक तनावपूर्ण था, लेकिन संजना ने अपनी गरिमा और शालीनता बनाए रखी और विधायक खींची को "माननीय विधायक" कहकर संबोधित किया, जो उनकी अनुशासन और धैर्य का प्रतीक है।
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— Kranti Kumar (@KraantiKumar) October 8, 2024
यह खबर हरियाणा चुनाव से भी बड़ी है. बहुजन समाज की महिला के आत्मा सम्मान का मुद्दा है.
चारों तरफ पुरूषों से घिरी ये 26 साल की भरतपुर सांसद संजना जाटव हैं. एक महिला नेता बनने का सफर जितना मुश्किल है उतना ही चुनौतियां शायद किसी पड़ाव पर पहुंचने पर सामने खड़ी मिलती… pic.twitter.com/x1aarDHxV0
यह घटना सिर्फ एक व्यक्तिगत संघर्ष नहीं है, बल्कि बहुजन समाज की महिलाओं के आत्म-सम्मान और उनके अधिकारों की व्यापक लड़ाई का प्रतीक बन गई है। संजना जाटव न केवल एक युवा महिला सांसद हैं, बल्कि वह समाज के उस तबके का प्रतिनिधित्व करती हैं जो सालों से हाशिए पर रहा है। उनके लिए यह संघर्ष केवल राजनीतिक लड़ाई नहीं है, बल्कि यह उनके और उनके समुदाय के आत्म-सम्मान की भी लड़ाई है।
संजना जाटव ने इस बार भरतपुर से 5 लाख से अधिक वोट लेकर संसद में जगह बनाई है। उनकी जीत न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह समाज में हो रहे बदलाव और बहुजन समाज के उदय की ओर इशारा करती है। उन्होंने अपने काम से यह साबित किया है कि महिला नेतृत्व का होना कितना महत्वपूर्ण है और कैसे महिलाएं समाज में बदलाव लाने में सक्षम हैं।
संजना का यह साहस और धैर्य राजनीति में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करता है। खासकर उन महिलाओं के लिए जो समाज के हाशिए पर हैं। यह घटना संजना जाटव के नेतृत्व और उनके आत्म-सम्मान की लड़ाई की महत्ता को दर्शाती है, जो हरियाणा चुनाव से भी बड़ा मुद्दा बन चुका है।