नई दिल्ली: भारतीय सोशल मीडिया पर अक्सर इतिहास से जुड़े विवादित मुद्दों पर बहस छिड़ती रहती है। इसी कड़ी में एक और चर्चित बयान सामने आया है। हाल ही में, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर क्रांति कुमार नामक यूज़र ने एक पोस्ट के ज़रिए औरंगजेब को लेकर अपनी राय ज़ाहिर की है, जिसे लेकर विवाद पैदा हो गया है।
क्रांति कुमार ने अपने पोस्ट में औरंगजेब के प्रति सकारात्मक रुख़ रखते हुए लिखा, "नायक नहीं कह सकते, तो कम से कम खलनायक मत कहो।" उन्होंने औरंगजेब को एक "न्यायप्रिय मुग़ल शासक" बताया और इस बात पर ज़ोर दिया कि उनके दरबार में "आधे से अधिक मंत्री, मनसबदार और अधिकारी हिंदू सवर्ण थे," जिससे यह साबित होता है कि औरंगजेब हिंदू-विरोधी नहीं थे।
पोस्ट में क्रांति कुमार ने मुग़ल शासन के दौरान मुसलमानों की अल्पसंख्या का भी उल्लेख किया, यह बताते हुए कि उस समय भारत में मुस्लिम जनसंख्या 1% से भी कम थी। उन्होंने कहा कि मुग़ल शासक मुख्य रूप से हिंदू शासकों और दरबारियों के समर्थन पर निर्भर थे। इसके बिना मुग़ल साम्राज्य का संचालन असंभव था।
नायक नही कह सकते तो कम से कम खलनायक तो मत कहो. औरंगजेब न्यायप्रिय मुग़ल शासक था.
— Kranti Kumar (@KraantiKumar) October 10, 2024
वो हिन्दू विरोधी नही था. औरंगजेब के दरबार मे आधे से अधिक मंत्री, मनसबदार और अधिकारी हिन्दू सवर्ण थे.
औरंगजेब हिन्दू विरोधी कैसे हुआ ?
मुगलकाल में भारतवर्ष में मुसलमानों की जनसंख्या 1% से कम थी.… pic.twitter.com/VGgiGJanlm
क्रांति कुमार ने औरंगजेब की हिंदू संस्कृति के प्रति "लगाव" का दावा करते हुए यह भी कहा कि औरंगजेब ने अपने बेटे आज़म शाह को हिंदी सीखने के लिए प्रेरित किया था, जिसके बाद आज़म शाह ने हिंदी में कविता लिखी, जिसमें भगवान शिव और गौरी को भी समर्पित कविताएँ शामिल थीं। कुमार ने यह भी कहा कि औरंगजेब ने "तोहफतुल हिन्द" योजना के तहत हिंदू शिक्षा को प्रोत्साहित किया था।
पोस्ट के अंत में उन्होंने कहा, "अगर औरंगजेब नायक नहीं था, तो खलनायक भी नहीं है। वह एक महान मुग़ल बादशाह था जिसके शासनकाल में भारत की सीमाएं सुरक्षित थीं।" क्रांति कुमार का कहना था कि लोग उनके शासनकाल में उन्हें बादशाह ज़िंदाबाद कहते थे, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उन्हें गालियाँ दी जाने लगीं।
इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर तेजी से ध्यान खींचा, और यूज़र्स के बीच गर्मागर्म बहस शुरू हो गई। कुछ लोगों ने क्रांति कुमार के बयान का समर्थन किया, जबकि अन्य ने उनकी आलोचना की। कई इतिहासकारों और विशेषज्ञों का मानना है कि औरंगजेब के शासनकाल को केवल एक दृष्टिकोण से देखना उचित नहीं है, क्योंकि उनके शासनकाल में कुछ नकारात्मक और विवादास्पद घटनाएँ भी घटी थीं, जिनमें काशी विश्वनाथ मंदिर का विध्वंस और जज़िया कर जैसी नीतियाँ शामिल थीं।
क्रांति कुमार की पोस्ट इस बात को फिर से उजागर करती है कि भारत में मुग़ल काल और उसकी विरासत आज भी बहस और चर्चा का महत्वपूर्ण विषय है।
क्रांति कुमार का यह पोस्ट भारतीय इतिहास में मुग़ल शासकों के योगदान और उनकी भूमिका को लेकर नए सिरे से चर्चा का विषय बन गया है। यह स्पष्ट है कि भारत का इतिहास जटिल और बहुस्तरीय है, और ऐसे मुद्दों पर लोगों की भावनाएँ तीव्र होती हैं।