राजकोट, गुजरात – सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें दावा किया जा रहा है कि राजकोट के एक अस्पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए आए करीब 250 मरीजों को जबरन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का सदस्य बनाया गया। यह घटना रात 11 बजे की बताई जा रही है, जब मरीज अस्पताल में आराम कर रहे थे।
वीडियो में देखा जा सकता है कि मरीजों से मोबाइल नंबर पूछे गए और उनके फोन पर वन-टाइम पासवर्ड (OTP) भेजा गया। आरोप है कि इस OTP को लेकर मरीजों को भाजपा का सदस्य बना दिया गया, बिना उनकी सहमति के। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है और इसे कमलेशभाई ठुमर नामक व्यक्ति द्वारा बनाया गया है, जो अब स्वयं भाजपा के सदस्य बन चुके हैं।
कमलेशभाई ठुमर ने वीडियो में यह भी दावा किया है कि उन्होंने यह कार्रवाई अपनी मर्जी से की है, और अब वह भाजपा के समर्थक हैं। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इस पूरी प्रक्रिया में मरीजों की सहमति ली गई थी या नहीं।
इस वीडियो के जरिये दावा किया जा रहा है कि करीब 250 मरीजों को रात 11 बजे उठाया। मोबाइल नंबर पूछकर OTP भेजा। फिर OTP लेकर उन्हें BJP का सदस्य बना दिया। ये मरीज मोतियाबंद ऑपरेशन के लिए आए हुए थे। वीडियो गुजरात में राजकोट का है। वीडियो बनाने वाले कमलेशभाई ठुमर अब भाजपाई हो चुके हैं। pic.twitter.com/P0PJmrV3LR
— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) October 20, 2024
इस घटना को लेकर राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। विपक्षी दलों ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन बताते हुए भाजपा पर निशाना साधा है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने इस घटना की निंदा करते हुए इसकी जांच की मांग की है।
भाजपा की ओर से इस मामले पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, पार्टी के स्थानीय नेताओं का कहना है कि यह मामला वीडियो में जितना गंभीर दिखाया जा रहा है, उतना नहीं है।
अस्पताल प्रशासन की ओर से भी इस पर कोई बयान जारी नहीं किया गया है, और न ही यह स्पष्ट किया गया है कि इस घटना के समय अस्पताल का स्टाफ कहां था और क्या इस गतिविधि में अस्पताल की कोई भूमिका थी।
राजकोट पुलिस ने इस घटना की जांच शुरू कर दी है और वायरल वीडियो की सत्यता की पुष्टि करने की कोशिश की जा रही है। यह मामला सोशल मीडिया पर लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है, और लोग विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रियाएं व्यक्त कर रहे हैं।
यह घटना भाजपा की सदस्यता अभियान को लेकर सवाल खड़े करती है, खासकर जब इसमें मरीजों की सहमति के बिना उन्हें पार्टी का सदस्य बनाने का आरोप लगाया जा रहा है। अब देखना होगा कि जांच के बाद इस मामले में क्या तथ्य सामने आते हैं।