नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के बाद जस्टिस संजीव खन्ना देश के अगले मुख्य न्यायाधीश बनने वाले हैं। जस्टिस संजीव खन्ना का न्यायिक करियर उल्लेखनीय रहा है। 1983 में दिल्ली बार काउंसिल के सदस्य बनने के बाद, उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट में वकालत की और 2005 में कोलेजियम द्वारा उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट में जज नियुक्त किया गया। 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया।
विशेष रूप से, जस्टिस संजीव खन्ना का न्यायिक परिवार से संबंध रहा है, वे सुप्रीम कोर्ट के भूतपूर्व जज जस्टिस हंस राज खन्ना के भतीजे हैं, जो अपने समय में महत्वपूर्ण और साहसिक फैसलों के लिए जाने जाते थे। न्यायपालिका में इस प्रकार के पारिवारिक संबंधों को लेकर न्यायिक प्रणाली में वंशवाद और कुछ परिवारों के वर्चस्व की आलोचना भी होती रही है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के बाद मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना बनने वाले हैं.
— Kranti Kumar (@KraantiKumar) October 18, 2024
1983 में जस्टिस संजीव खन्ना दिल्ली बार काउंसिल के सदस्य बने. दिल्ली हाई कोर्ट में वकालत की.
2005 में कोलेजियम ने उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट में जज बना दिया. 2019 में… pic.twitter.com/7a1q3Y75Mt
जस्टिस संजीव खन्ना की नियुक्ति ने न्यायपालिका में जाति और परिवारवाद के प्रभाव पर एक बार फिर से चर्चा को जन्म दिया है। कुछ आलोचकों का मानना है कि न्यायपालिका में सिर्फ जातिगत वर्चस्व ही नहीं, बल्कि कुछ परिवारों का प्रभुत्व भी बना हुआ है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।
इसके अलावा, कोलेजियम प्रणाली की भी काफी आलोचना हो रही है। यह प्रणाली, जो जजों की नियुक्ति में प्रमुख भूमिका निभाती है, अक्सर 'अव्यवस्थित' और 'पारदर्शिता की कमी' के आरोपों से घिरी रहती है। कई लोगों का मानना है कि इस प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है ताकि न्यायपालिका आम जनता का विश्वास और अधिक मजबूती से जीत सके।
न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह न केवल कानूनी और संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखे, बल्कि जनता के विश्वास को भी सुनिश्चित करे। न्यायिक प्रणाली की पारदर्शिता और निष्पक्षता का महत्व किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।
आने वाले समय में देखना दिलचस्प होगा कि जस्टिस संजीव खन्ना इन चुनौतियों से कैसे निपटते हैं और न्यायपालिका में सुधार और विश्वास बहाली के लिए क्या कदम उठाते हैं।