एक जनसभा के दौरान लोटन निषाद ने यादव समुदाय की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उनके योगदान को सराहा। उन्होंने कहा कि यादव समुदाय ने चमार समाज के लोगों को इज्जत से जीने का अधिकार दिलाया है, और वे खुद इसका जीता-जागता उदाहरण हैं। अपने भाषण में उन्होंने कहा, "मेरे गांव में चार मर्डर हो चुके हैं। यादव भाइयों ने चमारों की बहन-बेटियों की आबरू बचाने में अहम भूमिका निभाई। लेकिन अब उन पर खलनायक का ठप्पा लगा दिया गया है।"
लोटन निषाद ने आगे कहा कि जब बड़ी जातियों का आतंक फैला हुआ था, तब यादव समुदाय के लोग लाठी लेकर खड़े होते थे। वे अमन-चैन के समय अपने हाथों में बंदूक, लाठी, बल्लम, और तीर लेकर निकल पड़ते थे, और चमार समाज की सुरक्षा के लिए चार दिवारी बनकर खड़े रहते थे। उन्होंने कहा, "हमारे मान-सम्मान और इज्जत की रक्षा यादवों ने की, लेकिन आज उन्हें खलनायक बना दिया गया है।"
सभा में निषाद का यह बयान सामाज के विभिन्न वर्गों में हलचल मचाने वाला रहा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यादव और चमार समुदायों के बीच सहयोग और सम्मान की पुरानी परंपरा रही है, और इसे खलनायक की तरह पेश करना निंदनीय है।
लोटन निषाद के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। कुछ इसे सामाजिक एकता की मिसाल के रूप में देख रहे हैं, जबकि कुछ इसे जातिगत ध्रुवीकरण के रूप में भी देख सकते हैं।
सभा में मौजूद लोगों ने भी निषाद के विचारों का समर्थन किया और कहा कि चमार और यादव समुदाय के बीच संबंधों को सकारात्मक दृष्टि से देखना चाहिए।
लोटन निषाद सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय एक प्रमुख नेता हैं, जो हमेशा से ही दलित और पिछड़े वर्ग के अधिकारों की बात करते रहे हैं। उनका यह बयान एक बार फिर समाज में जातिगत तनाव और उसकी जटिलता को उजागर करता है।