रीवा के चिरहुला हनुमान मंदिर परिसर में मंगलवार को एक अजीब स्थिति उत्पन्न हो गई जब दो कथावाचक आपस में भिड़ गए। यह घटना यजमान को कथा सुनाने को लेकर शुरू हुई, जिसके बाद दोनों कथावाचक एक-दूसरे के खिलाफ शारीरिक संघर्ष में जुट गए। इस विवाद का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें दोनों कथावाचक एक-दूसरे को मुक्के मारते हुए नजर आ रहे हैं।
वीडियो में दिखाया गया है कि दोनों कथावाचक मंदिर परिसर में खुलेआम एक-दूसरे से मारपीट कर रहे हैं, जबकि पास में खड़े श्रद्धालु इस स्थिति को देखकर आश्चर्यचकित हैं। घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने तुरंत हस्तक्षेप किया और दोनों के बीच विवाद को शांत करने का प्रयास किया। लोगों के प्रयासों से स्थिति को नियंत्रण में लाया गया और मारपीट की घटना को समाप्त किया गया।
इसलिए ज्योतिबा फुले ने कहा था "पुजारी का धर्म नहीं बल्कि एक धंधा हैं।" pic.twitter.com/HTr0UBazot
— Tribal Army (@TribalArmy) September 4, 2024
चिरहुला हनुमान मंदिर के पुजारी निशांत तिवारी ने इस घटना के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कथावाचकों के बीच यजमान को कथा सुनाने को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ था। तिवारी ने बताया कि दोनों कथावाचक को शांत कर दिया गया है और मामले की शिकायत पुलिस थाने में दर्ज नहीं कराई गई है। पुजारी ने कहा कि यह घटना पूरी तरह से एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी और इसे जल्द ही समाप्त कर दिया गया है।
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर भी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। सोशल मीडिया प्लेटफार्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक उपयोगकर्ता ने इस घटना पर टिप्पणी करते हुए ज्योतिबा फुले के एक कथन को उद्धृत किया, जिसमें कहा गया था कि "पुजारी का धर्म नहीं बल्कि एक धंधा है।" यह टिप्पणी इस घटना की ओर ध्यान आकर्षित करती है और धार्मिक स्थलों पर अनुशासन की आवश्यकता की ओर इशारा करती है।
इस प्रकार की घटनाएँ धार्मिक स्थलों पर अनुशासन की महत्वपूर्णता को रेखांकित करती हैं और दर्शाती हैं कि विवादों और संघर्षों को समाधान के बजाय हिंसा के माध्यम से नहीं सुलझाया जाना चाहिए। यह घटना समाज में एक महत्वपूर्ण संदेश देने का काम करती है कि धर्म और धार्मिक संस्थाओं के प्रति सम्मान बनाए रखना आवश्यक है।