भारतीय सोशलिस्ट और जर्नलिस्ट जैकी यादव ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया है। उन्होंने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, "क्या अब पत्रकारिता पिंजरे से आज़ाद होने वाली है?" यह सवाल सुभाष चंद्रा, ज़ी न्यूज़ के मालिक, के हाल के राजनीतिक कदमों को लेकर है, जिसने भारतीय राजनीति और मीडिया जगत में हलचल मचा दी है।
सुभाष चंद्रा, जो पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) के समर्थन से राज्यसभा सांसद बने थे, ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में चौंकाने वाला कदम उठाया है। आदमपुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करते हुए उन्होंने राजनीतिक पर्यवेक्षकों को हैरान कर दिया। यही नहीं, इससे पहले भी सुभाष चंद्रा ने अपने विरोधी निर्दलीय प्रत्याशी सावित्री जिंदल का समर्थन किया था।
चंद्रा का यह कदम इस सवाल को जन्म देता है कि क्या वे BJP से दूरी बना रहे हैं? और अगर हां, तो क्या इसका असर उनके न्यूज़ चैनल, ज़ी न्यूज़, पर भी पड़ेगा, जिसे अक्सर भाजपा समर्थक मीडिया आउटलेट के रूप में देखा गया है।
क्या अब पत्रकारिता पिंजरे से आज़ाद होने वाली है?
— Jaiky Yadav (@JaikyYadav16) September 22, 2024
Zee News के मालिक सुभाष चंद्रा BJP के सपोर्ट से राज्यसभा सांसद रहे हैं मगर अब हरियाणा चुनाव में उन्होंने सबको चौंका दिया है
कल सुभाष चंद्रा ने आदमपुर विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार किया है, यही नहीं इससे पहले… pic.twitter.com/Dlng4JdLEZ
जैकी यादव के सवाल का संदर्भ मीडिया की स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है। क्या पत्रकारिता, जो कई बार राजनीति के दबाव में नजर आती है, अब पिंजरे से आज़ाद होकर स्वतंत्र रिपोर्टिंग की दिशा में कदम बढ़ाने जा रही है? यह देखना दिलचस्प होगा कि चंद्रा के इस राजनीतिक कदम का मीडिया जगत और खासतौर पर ज़ी न्यूज़ पर क्या प्रभाव पड़ता है। क्या ज़ी न्यूज़ की रिपोर्टिंग में कोई बदलाव आएगा या फिर चैनल की नीति वही रहेगी?
हरियाणा चुनाव के इस घटनाक्रम से यह साफ है कि भारतीय राजनीति में गठबंधन और समर्थन तेजी से बदल सकते हैं। अब यह देखना बाकी है कि सुभाष चंद्रा के इस कदम का आगामी चुनावों और मीडिया की स्वतंत्रता पर क्या प्रभाव पड़ेगा।