मुजफ्फरनगर, 7 सितंबर 2024— कस्बा बघरा स्थित योगसाधना आश्रम के मुख्य महंत यशवीर जी महाराज ने एक विवादित बयान जारी करते हुए कहा कि सलीम नामक व्यक्ति द्वारा संचालित होटल पर लगे "संगम" नाम को हटाने की अंतिम तारीख 7 सितंबर दी गई थी, जो अब समाप्त हो चुकी है। महंत यशवीर ने आरोप लगाया है कि सलीम होटल के नाम से "संगम" नहीं हटा रहा है, जो कि हिंदू समाज की आस्था के साथ खिलवाड़ है।
महंत यशवीर ने अपने बयान में कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने किसी को भी नाम लिखने के लिए बाध्य न करने का आदेश दिया है, लेकिन यह आदेश मुसलमानों को हिंदू देवी-देवताओं के नाम अपने होटलों पर लिखने की छूट नहीं देता। हम कल सुबह 11 बजे सलीम के होटल पर जाकर 'संगम' नाम का बोर्ड हटाएंगे। यह हिंदू समाज की आस्था से जुड़ा मुद्दा है, और हम इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे।"
महंत यशवीर ने आगे कहा कि अगर कल के विरोध प्रदर्शन के दौरान कोई गड़बड़ी होती है, तो उसकी जिम्मेदारी होटल मालिक और जिला प्रशासन की होगी। उन्होंने सभी सनातनियों से आह्वान किया है कि वे बड़ी संख्या में कल सुबह 11 बजे सलीम के होटल पर पहुंचें और विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लें।
यूपी : मुजफ्फरनगर में सलीम के रेस्टोरेंट से 'संगम भोजनालय' का बोर्ड कल हटाया जाएगा। स्वामी यशवीर महाराज को इस बोर्ड पर आपत्ति है।
— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) September 6, 2024
ये वही यशवीर महाराज हैं, जिन्होंने कांवड़ यात्रा में 'नेमप्लेट' लगाने की मांग की, फिर सुप्रीम कोर्ट को रोक लगानी पड़ी।@AnujTyagi8171 pic.twitter.com/dUnnVj4fI7
उन्होंने प्रशासन से भी इस मामले का संज्ञान लेने की अपील की और स्पष्ट किया कि यह मामला हिंदू आस्था से जुड़ा हुआ है और किसी भी सूरत में इस मुद्दे से पीछे नहीं हटा जाएगा।
इस बयान के बाद स्थानीय प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन स्थिति तनावपूर्ण हो सकती है। जिले में कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए जाने की संभावना है।
महंत यशवीर के इस बयान के बाद, स्थानीय समुदाय में इस मुद्दे को लेकर बढ़ती नाराजगी देखी जा रही है। जिला प्रशासन को इस मुद्दे पर जल्द ही निर्णय लेने और संभावित हिंसा को रोकने के लिए सुरक्षा प्रबंधों को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
इस घटना ने हिंदू-मुस्लिम संबंधों में तनाव की स्थिति पैदा कर दी है। हालांकि, महंत यशवीर के समर्थकों का दावा है कि यह मुद्दा हिंदू धार्मिक आस्था से जुड़ा है, वहीं कई लोग इसे धार्मिक स्वतंत्रता और समन्वय के दृष्टिकोण से देख रहे हैं।
इस मुद्दे पर होने वाली घटनाओं पर जिला प्रशासन और स्थानीय पुलिस की सक्रियता पर सभी की निगाहें टिकी हैं।