धारा 370 क्यों हटाया? हम यहां मुसलमान हैं, यह हमारी ज़मीन है और यहां हिंदू राज स्थापित क्यों करना चाहते है: जम्मू कश्मीर का मुस्लिम युवक

श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर: जम्मू-कश्मीर के एक मुस्लिम निवासी ने मीडिया से बातचीत में आर्टिकल 370 की बहाली की जोरदार मांग की और भारत सरकार के फैसले पर कड़ी नाराजगी जताई। इस आर्टिकल ने राज्य को विशेष दर्जा दिया था, जिसे अगस्त 2019 में रद्द कर दिया गया था। व्यक्ति ने गहरे असंतोष के साथ यह सवाल उठाया कि केंद्र सरकार ने यह फैसला क्यों लिया और कहा कि जम्मू-कश्मीर उसकी भूमि है, और आर्टिकल 370 को खत्म करके उनकी स्वायत्तता छीन ली गई है।

"भारत ने हमारी ज़मीन क्यों छीनी? इसका मकसद क्या है? हम 370 के तहत सुरक्षित थे। अब हमें इसे वापस क्यों नहीं दिया जा रहा है?" उन्होंने कहा, यह बताते हुए कि यह आर्टिकल स्थानीय मुस्लिम आबादी के अधिकारों और क्षेत्र के जनसांख्यिकीय चरित्र की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण था।

उन्होंने विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर गुस्सा जताया। उन्होंने कहा, "यहां मोदी की सरकार नहीं चलेगी। हम यहां मुसलमान हैं। यह हमारी ज़मीन है और यहां हिंदू राज स्थापित नहीं किया जा सकता।" इस बयान में उन्होंने स्पष्ट रूप से सरकार द्वारा गैर-स्थानीय, विशेष रूप से हिंदुओं को क्षेत्र में बसाने के विचार का विरोध किया।

आर्टिकल 370 का रद्द किया जाना एक अत्यधिक विवादास्पद मुद्दा रहा है, और जम्मू-कश्मीर के कई लोग खुद को अलग-थलग और डरे हुए महसूस कर रहे हैं कि इससे क्षेत्र का सांस्कृतिक और धार्मिक ताना-बाना बदल सकता है। व्यक्ति का यह बयान स्थानीय जनता के असंतोष को प्रतिबिंबित करता है।

जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और क्षेत्र के भविष्य को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। इस तरह की आवाज़ें आर्टिकल 370 और उसकी स्वायत्तता की वापसी की लगातार मांग कर रही हैं।

नई दिल्ली की सरकार अपने फैसले पर दृढ़ है, लेकिन क्षेत्र के सामने कई चुनौतियाँ हैं। स्थानीय नेताओं और समुदायों के लिए इस नई राजनीतिक स्थिति को समझना और उससे निपटना एक जटिल मुद्दा है। क्षेत्र में शांति और विश्वास की बहाली एक कठिन कार्य है, जो गंभीर संवाद और ध्यान की मांग करता है।

व्यक्ति के तीखे बयान से यह स्पष्ट होता है कि आर्टिकल 370 की बहाली की मांग कई लोगों के दिलों में गहरे पैठी हुई है। जैसे-जैसे क्षेत्र इन कठिन समयों से गुज़र रहा है, स्वायत्तता और स्थानीय पहचान का सवाल चर्चा के केंद्र में बना हुआ है। 

Treeni ने X (पूर्व में Twitter) पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी साझा करते हुए लिखा, "जम्मू-कश्मीर में अर्चना तिवारी की साहसी रिपोर्टिंग से इस्लामी पारिस्थितिकी तंत्र हिल गया है। वह खतरनाक तरीके से उन्हें बेनकाब कर रही है, भारत में कई लोगों की आंखें खोल रही है। सरकार को तुरंत उसे उसी साहस के साथ रिपोर्टिंग जारी रखने के लिए पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए।"

अर्चना तिवारी, एक पत्रकार के रूप में अपनी निडर रिपोर्टिंग के लिए जानी जाती हैं, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर के जटिल और संवेदनशील मुद्दों को उजागर करने का बीड़ा उठाया है। उनकी रिपोर्टिंग ने समाज के एक विशेष वर्ग को असहज कर दिया है, जिसके कारण उन्हें गंभीर खतरों का सामना करना पड़ रहा है। Treeni ने सरकार से अपील की है कि अर्चना को सुरक्षित रखने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं, ताकि वह बिना किसी डर के अपने काम को जारी रख सकें। 

Rangin Duniya

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