जब भारत को 1947 में आजादी मिली, तब देश का विभाजन भी हुआ। मुस्लिम समुदाय ने एक अलग देश की मांग की, और पाकिस्तान का गठन हुआ। जो हिंदू और मुसलमान एक साथ रहते थे, वे विभाजन के दर्द से टूट गए। लेकिन, क्या आपको पता है कि भारत में इस्लाम की शुरुआत कैसे हुई?
भारत के शुरुआती इतिहास में, इस्लाम का आगमन अरब व्यापारियों के माध्यम से हुआ। इस्लाम का उदय सातवीं शताब्दी में हुआ जब पैगंबर मोहम्मद (570-632 ई.) ने इसे एक नया धर्म घोषित किया। इस्लामिक नियमों और शिक्षाओं ने न केवल अरबों बल्कि अन्य क्षेत्रों के धार्मिक, राजनीतिक, और सामाजिक ढांचे को भी प्रभावित किया।
अरब व्यापारी मुख्य रूप से मसालों और अन्य वस्तुओं का व्यापार करने के लिए भारत के पश्चिमी तटों पर आते थे। केरल के राजा चेरामन पेरुमल ने अरब व्यापारियों के लिए सुविधाएं उपलब्ध करवाईं और यहां पहली मस्जिद "चेरामन जुमा मस्जिद" का निर्माण हुआ। इससे इस्लाम भारत में व्यापार के माध्यम से धीरे-धीरे फैलने लगा। इसके बाद सूफी संतों ने भारत के विभिन्न हिस्सों में अपनी आध्यात्मिक शिक्षाओं के माध्यम से इस्लाम का प्रचार किया।
हालांकि, भारत में इस्लाम के आगमन का एक और प्रमुख पहलू था- आक्रमणों का। 711 ईस्वी में मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर आक्रमण किया और राजा दाहिर को हराकर सिंधु नदी के आसपास इस्लामिक शासन की स्थापना की। यह आक्रमण इस्लाम के भारतीय उपमहाद्वीप में राजनीतिक स्थायित्व के लिए पहला कदम साबित हुआ। इसके बाद गजनी, खिलजी और तैमूर जैसे आक्रमणकारी भारत आए और अपने सैन्य अभियानों से इस्लामिक साम्राज्य की जड़ें मजबूत कीं।
मुगल शासन के दौरान भारत में इस्लाम को राजनीतिक सत्ता के रूप में विशेष रूप से मान्यता मिली। मुगल बादशाह अकबर ने धार्मिक सहिष्णुता की नीति अपनाई और हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रयास किए, जिससे दोनों समुदायों में बेहतर संबंध स्थापित हुए।
इस्लामिक शासकों का प्रभाव भारत के सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक जीवन में गहराई तक फैला। 1707 में औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य कमजोर हो गया, और ब्रिटिश शासन का आगमन हुआ। लेकिन इस्लाम भारत की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला धर्म बन चुका था। आज, भारत में मुस्लिम आबादी करीब 15% है, और वे देश के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय रूप से शामिल हैं।
इस प्रकार, व्यापार, सूफी संतों और आक्रमणों के मिश्रण से इस्लाम भारत में स्थापित हुआ और अपने विविध रूपों में आज तक बना हुआ है। अगर भारत और पाकिस्तान का विभाजन न हुआ होता, तो संभवतः यह दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम बहुल देश बन सकता था।