अक्सर बीजेपी पर मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगता रहा है। विपक्षी दल तीन तलाक, वक्फ बोर्ड, धारा 370, सीएए और एनआरसी जैसे मुद्दों को उछालते हुए बीजेपी को मुस्लिम विरोधी पार्टी करार देते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में एक भी मुस्लिम चेहरा नहीं होने के चलते भी पार्टी पर ताने कसे जाते हैं।
लेकिन अब प्रधानमंत्री मोदी का ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ का नारा बीजेपी की रणनीति का हिस्सा बन चुका है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी ने 18 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देकर विपक्षी पार्टियों, खासकर कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस को चौंका दिया है। कांग्रेस की बेचैनी इस कदम से साफ दिखाई दे रही है क्योंकि ये मुस्लिम उम्मीदवार बीजेपी की एक नई रणनीति का हिस्सा हैं।
बीजेपी की चुनावी रणनीति
जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, और कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है। दूसरी तरफ, बीजेपी बेहद सावधानी से अपने उम्मीदवार चुन रही है। पार्टी का फोकस 90 में से 46 सीटों पर है, जिसमें जम्मू की 43 सीटें खास महत्व रखती हैं। बीजेपी को यकीन है कि वह इनमें से 35 से 37 सीटें जीत सकती है।
यही वजह है कि पार्टी ने इस बार 18 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जिससे साफ संकेत मिलते हैं कि पार्टी घाटी में मुस्लिम वोट बैंक पर भी नजर रख रही है।
कौन हैं बीजेपी के 18 मुस्लिम उम्मीदवार?
बीजेपी ने जिन 18 मुस्लिम नेताओं पर भरोसा जताया है, उनमें प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:
1. इंजीनियर सैयद शौकत गयूर अंद्राबी (पंपर विधानसभा)
2. अर्शित भट्ट (राजपोरा)
3. जावेद अहमद कादरी (सोपिया)
4. मोहम्मद रफीक वानी (अनंतनाग पश्चिम)
5. सैयद वजाहत (अनंतनाग)
6. सोफी यूसुफ (श्री गुफ वाड़ा बिजबेहरा)
7. तारिक कीन (रवल)
8. सलीम भट्ट (बनिहाल)
9. इंजीनियर एजाज हुसैन (लालचौक)
10. आरिफ रजा (ईदगाह)
11. अली मोहम्मद मीर (खान साहिब)
12. ताहिर हुसैन (चरार शरीफ)
13. मोहम्मद अकरम चौधरी (गुलाबगढ़)
14. चौधरी जुल्फिकार अली (बुधल)
15. मोहम्मद इकबाल मलिक (न्ना मंडी)
16. सैयद मुश्ताक अहमद बुखारी (सूरन कोटे)
17. चौधरी अब्दुल गरी (पुंज हवेली)
18. मुर्तजा खान (मेंढक)
बीजेपी के इस कदम से कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। 2014 के विधानसभा चुनाव में, बीजेपी ने 31 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था, लेकिन केवल एक ही जीत हासिल कर पाया था। इस बार बीजेपी ने स्थिति का बारीकी से विश्लेषण किया है। धारा 370 के हटने के बाद, कश्मीर घाटी में बीजेपी ने एक नया राजनीतिक माहौल तैयार किया है। मुस्लिम समुदाय के कुछ हिस्से में बीजेपी को समर्थन मिल रहा है, और यह पार्टी के लिए बड़ा मौका बन सकता है।
2014 के विधानसभा चुनाव में पीडीपी ने 28 सीटें जीती थीं, बीजेपी 25 सीटों पर काबिज हुई थी, नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15 सीटें मिली थीं और कांग्रेस को केवल 12 सीटें। हालांकि, इस बार धारा 370 हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर में सियासी समीकरण बदले हुए नजर आ रहे हैं। बीजेपी का वोट शेयर पिछले चुनाव में 23.98% था, जो उसे टॉप पर ले गया था।
बीजेपी की यह रणनीति सोच-समझकर तैयार की गई है। कश्मीर क्षेत्र में मुस्लिम वोटों का खासा प्रभाव है, और इसी को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव लगाया है। धारा 370 हटने के बाद बीजेपी का संगठनात्मक ढांचा मजबूत हुआ है, और मुस्लिम समुदाय के कुछ हिस्सों में पार्टी के प्रति समर्थन बढ़ा है। अब देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी की यह रणनीति कितनी सफल होती है और जम्मू-कश्मीर में पार्टी किस तरह से चुनावी दौड़ में आगे बढ़ती है।
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