नई दिल्ली: सामाजिक कार्यकर्ता हंसराज मीणा ने अपने ट्विटर (X) अकाउंट पर हाल ही में एक टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने भारत के भीतर चल रहे धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, "जहां भारत हिंदू-मुस्लिम पर अटका पड़ा है, वहीं चीन विज्ञान, तकनीक, बुनियादी ढांचे में नई ऊंचाइयों को छू चुका है।"
मीणा ने चीन के विकास का उदाहरण देते हुए कहा कि उसकी तीव्र आर्थिक वृद्धि और तकनीकी नवाचार ने उसे वैश्विक शक्ति बना दिया है। इसके विपरीत, उन्होंने इस बात पर ध्यान आकर्षित किया कि भारत अपने आपसी धार्मिक मतभेदों में उलझा हुआ है, जिससे देश की प्रगति प्रभावित हो रही है। उनका मानना है कि अगर भारत को चीन जैसी वैश्विक प्रतिस्पर्धा में खड़ा होना है, तो उसे शिक्षा, शोध और विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर अधिक जोर देना होगा।
जहां भारत हिंदू-मुस्लिम पर अटका पड़ा है, वहीं चीन विज्ञान, तकनीक, बुनियादी ढांचे में नई ऊंचाइयों को छू चुका है। चीन की तीव्र आर्थिक वृद्धि और तकनीकी नवाचार उसे वैश्विक शक्ति बनाते है। भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ना है तो उसे शिक्षा, शोध और विकास पर अधिक जोर देना होगा। pic.twitter.com/OSHYB0HC2b
— Hansraj Meena (@HansrajMeena) September 8, 2024
मीणा का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत में हिंदू-मुस्लिम संबंधों और सांप्रदायिक विवादों को लेकर कई मुद्दे उठते रहे हैं। उन्होंने साफ तौर पर इस बात पर जोर दिया कि देश को अगर प्रगति के पथ पर चलना है, तो उसे इन मुद्दों से ऊपर उठकर विज्ञान और तकनीक में निवेश करना चाहिए।
इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आईं। कुछ ने मीणा की सोच का समर्थन किया, तो कुछ ने इसे भारत के भीतर की सामाजिक वास्तविकताओं से अनभिज्ञता करार दिया। लेकिन एक बात स्पष्ट है कि उनके इस बयान ने भारत के विकास और उसकी दिशा को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।
भारत, जो तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था है, अब शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में चीन जैसे देशों से प्रतिस्पर्धा करने की राह पर है, लेकिन क्या वह अपने आंतरिक सामाजिक और धार्मिक मुद्दों से निपटने में सक्षम हो पाएगा, यह देखना बाकी है।