नई दिल्ली, 14 सितंबर 2024 — इस्लामिक संस्कृति और मान्यताओं में 'महरम' का रिश्ता अत्यधिक पवित्र और सम्मानित माना जाता है। यह विशेष रिश्ते एक महिला को सुरक्षा और सम्मान की गारंटी प्रदान करते हैं।
'महरम' वह व्यक्ति होता है, जिसके साथ विवाह का संबंध हराम (निषिद्ध) होता है। ये रिश्तेदार, जैसे पिता, भाई, चाचा, या दादा, एक महिला को इस्लामिक नियमों के अनुसार हमेशा सुरक्षित रखते हैं। इस्लामिक समाज में, इस रिश्ते का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह परिवार की एकता और महिला की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
महिलाओं के लिए 'महरम' की उपस्थिति का मतलब केवल शारीरिक सुरक्षा ही नहीं है, बल्कि यह उनके मानसिक और भावनात्मक सुरक्षा का भी संकेत है। इन रिश्तेदारों के साथ होने पर महिलाएं अपनी निजी आज़ादी के साथ-साथ एक सुरक्षित वातावरण में भी रह सकती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि 'महरम' का रिश्ता इस्लाम में महिलाओं की विशेष सुरक्षा और सम्मान का प्रतीक है। यह रिश्ता न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह परिवार के भीतर महिलाओं को सम्मान और सुरक्षा प्रदान करता है।
इस्लामिक समुदायों में, यह प्रथा विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है, और इसके प्रति सम्मान और पालन की अनिवार्यता पर जोर दिया जाता है। इस प्रकार, 'महरम' का रिश्ता केवल एक पारंपरिक अवधारणा नहीं, बल्कि महिलाओं के लिए एक स्थिर और सुरक्षित जीवन की गारंटी भी है।