नई दिल्ली — कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि मक्का और मदीना में हज और उमरा के दौरान वास्तव में क्या होता है। जब कोई व्यक्ति हज करने जाता है, तो उसे वहां क्या देखने को मिलता है? हज के नियम कायदे क्या हैं? क्या उम्र की कोई सीमा होती है? इन सभी सवालों का जवाब आज हम इस लेख में जानेंगे।
हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है और इसका उद्देश्य अल्लाह के करीब जाना और इस्लाम की शिक्षाओं को समझना है। इस्लामिक स्कॉलर फिरोज अहमद और शेख खलीमुद्दीन के साथ एक बातचीत के दौरान, हमें हज के महत्व और मक्का और मदीना में इसकी प्रक्रिया के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली।
फिरोज अहमद ने बताया, "हज करने का मुख्य उद्देश्य अल्लाह से करीबी बनाना और एक विशेष आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करना है। हज के दौरान, सभी लोग समान कपड़े पहनते हैं, जो उन्हें यह एहसास दिलाते हैं कि सभी लोग बराबर हैं।"
मक्का और मदीना, इस्लाम के दो पवित्र शहर हैं। मक्का में, हज की प्रक्रिया के दौरान, मुसलमान काबा का तवाफ करते हैं और वहां कुछ विशेष रीतियों का पालन करते हैं। काबा की चारों ओर सात बार चक्कर लगाना और फिर मीना और अरेफात की यात्रा करना इन रीतियों का हिस्सा है। हज के दौरान, विशेष सफेद कपड़े पहने जाते हैं जो हर व्यक्ति को समानता का एहसास कराते हैं।
शेख खलीमुद्दीन ने कहा, "हज का पहला चरण मक्का में शुरू होता है, जहां हाजी काबा का तवाफ करते हैं। इसके बाद, वे मीना और अरेफात की यात्रा करते हैं, जो हज का अभिन्न हिस्सा है।"
उमरा भी एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है जो हज से अलग होता है। यह किसी भी समय किया जा सकता है, और इसमें हज के समान कई रीतियों का पालन किया जाता है, लेकिन इसमें कुर्बानी की आवश्यकता नहीं होती। उमरा का उद्देश्य भी अल्लाह के करीब जाना और धार्मिक अनुभव प्राप्त करना है।
हज के लिए एक मुस्लिम को शारीरिक और वित्तीय रूप से सक्षम होना चाहिए। उम्र की कोई विशेष सीमा नहीं होती, लेकिन स्वास्थ्य की स्थिति अच्छी होनी चाहिए। हज के दौरान, विशेष कपड़े पहनना और कुछ नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है। उमरा के लिए भी ऐसी ही रीतियों का पालन करना होता है, लेकिन इसमें कुछ लचीलापन होता है।
मक्का और मदीना की यात्रा के दौरान, हाजी कई पवित्र स्थलों की दर्शन करते हैं। मक्का में काबा, हजरत अब्राहम की मस्जिद, और जामिया मस्जिद महत्वपूर्ण स्थल हैं। मदीना में, हजरत मोहम्मद की मस्जिद और उनके मकबरे की दर्शन की जाती है।
हज और उमरा की यात्रा केवल धार्मिक अनुभव ही नहीं बल्कि आत्मा की शांति और मानवता के साथ जुड़ने का एक माध्यम भी है। यह यात्रा हर मुसलमान के जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना होती है और इसके जरिए व्यक्ति को अपने धर्म और संस्कृति की गहरी समझ मिलती है।