हमें इस बात गर्व हमने जाति बनाईं है, हम शुद्रो का छुआ पानी नहीं पिते है, शुद्र का काम ब्राह्मण की सेवा करना: रुद्र प्रताप त्रिपाठी

हमें इस बात गर्व हमने जाति बनाईं है, हम शुद्रो का छुआ पानी नहीं पिते है, शुद्र का काम ब्राह्मण की सेवा करना: रुद्र प्रताप त्रिपाठी

हाल ही में रुद्र प्रताप त्रिपाठी ने X (पूर्व में ट्विटर) पर एक विवादास्पद बयान पोस्ट करते हुए लिखा, "हमें इस बात पर गर्व है कि हमने जाति बनाई है। हम शुद्रों का छुआ पानी नहीं पीते हैं। शुद्रों का काम ब्राह्मण की सेवा करना है।" इस बयान के बाद सामाजिक और कानूनी स्तर पर उनकी तीव्र आलोचना हो रही है। लोगों ने सवाल उठाया है कि क्या इस तरह की बयानबाजी पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए?

त्रिपाठी के इस बयान को जातिवाद और छुआछूत को बढ़ावा देने वाला कहा जा रहा है, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 17 का सीधा उल्लंघन है। संविधान का यह अनुच्छेद अस्पृश्यता को समाप्त करता है और इसे किसी भी रूप में अभ्यास करने पर रोक लगाता है। इसके तहत किसी भी व्यक्ति को अस्पृश्यता के आधार पर उत्पीड़ित करना या उसके साथ भेदभाव करना दंडनीय अपराध है।

अनुच्छेद 17: अस्पृश्यता के खिलाफ सख्त प्रावधान

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता को समाप्त करने के लिए बनाया गया है। इसमें अस्पृश्यता का अभ्यास निषिद्ध है और किसी भी प्रकार से इसे लागू करना कानून के तहत अपराध माना जाता है। इसके बाद संसद ने 1955 में अस्पृश्यता अपराध अधिनियम (जिसका नाम बाद में नागरिक स्वतंत्रता संरक्षण अधिनियम कर दिया गया) अधिनियमित किया, जिसके तहत किसी व्यक्ति को मंदिर में प्रवेश करने या सार्वजनिक स्रोतों से पानी लेने से रोकने पर दंड का प्रावधान किया गया।

 

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के संरक्षण के लिए बने कानून

इसके साथ ही 1989 में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम और 2015 में इसके संशोधन के बाद अनुसूचित जातियों और जनजातियों के खिलाफ किसी भी प्रकार के भेदभाव और उत्पीड़न को रोकने के लिए सख्त प्रावधान बनाए गए हैं।

 सामाजिक प्रतिक्रिया और कानूनी मांगें

रुद्र प्रताप त्रिपाठी के बयान के बाद कई सामाजिक संगठनों और नागरिकों ने उनकी आलोचना करते हुए कहा है कि यह बयान न केवल संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है, बल्कि देश में सामाजिक समरसता को भी चोट पहुंचाता है। इस मामले में कानूनी कार्रवाई की मांग की जा रही है ताकि समाज में जातिवाद और छुआछूत के खिलाफ सख्त संदेश दिया जा सके।

भारतीय संविधान और कानून जातिवादी विचारधाराओं के खिलाफ खड़े हैं। ऐसे में त्रिपाठी के बयान के खिलाफ क्या कदम उठाए जाएंगे, यह देखने वाली बात होगी।

Rangin Duniya

ranginduniya.com is a Professional Lifestyle, Health, News Etc Platform. Here we will provide you only interesting content, which you will like very much. We're dedicated to providing you the best of Lifestyle, Health, News Etc, with a focus on dependability and Lifestyle. We're working to turn our passion for Lifestyle, Health, News Etc into a booming online website. We hope you enjoy our Lifestyle, Health, News Etc as much as we enjoy offering them to you.

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने

INNER POST ADS

Follow Us