पटना, 15 सितंबर 2024– बिहार में शराबबंदी के मुद्दे पर राजनीति फिर से गरमा गई है, जब प्रसिद्ध वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने एक बड़ा बयान दिया। भूषण ने कहा है कि अगर उनकी सरकार बिहार में सत्ता में आती है, तो वे केवल एक घंटे के भीतर शराब पर लगे प्रतिबंध को हटा देंगे। उनके इस बयान ने राज्य में चर्चा का माहौल गर्म कर दिया है, खासकर उन लोगों के बीच जिन्हें शराबबंदी से असुविधा हुई है।
2016 में बिहार सरकार द्वारा पूर्ण शराबबंदी लागू किए जाने के बाद से इस मुद्दे पर कई बार बहस छिड़ी है। हालांकि, यह कदम महिलाओं और समाज के अन्य वर्गों द्वारा सराहा गया था, लेकिन कुछ समूहों में इसकी आलोचना भी हुई। प्रशांत भूषण ने अब इस पुराने मुद्दे को फिर से उठाते हुए चुनावी माहौल में एक नया मोड़ दे दिया है।
प्रशांत भूषण के इस बयान के बाद बिहार के कई हिस्सों में उन लोगों के बीच उत्साह देखा जा रहा है, जो लंबे समय से शराबबंदी के खिलाफ आवाज उठा रहे थे। सोशल मीडिया पर लोग मजाकिया अंदाज में प्रशांत भूषण के समर्थन में पोस्ट कर रहे हैं, और उनके इस वादे की सराहना कर रहे हैं।
बिहार के बेवडो में खुशी की लहर!
— KK NEHRA (@Krishan88701400) September 15, 2024
प्रशांत भूषण ने कहा अगर हमारी सरकार बनी तो 1 घंटे में शराब पर बैन हटा देंगे!
आपको क्या लगता है प्रशांत भूषण बेवडो के दम पर इस बार अपनी सरकार बना पाएंगे ? pic.twitter.com/jd29TeZoO0
"अगर सच में ऐसा होता है, तो हम चुनावी समर्थन देंगे," एक सोशल मीडिया यूजर ने हंसी-मजाक में कहा। हालांकि, इस बयान को लेकर विरोधी दल भी सक्रिय हो गए हैं, और भूषण के इस बयान की आलोचना कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार जैसे राज्य में शराबबंदी एक संवेदनशील मुद्दा है। प्रशांत भूषण का वादा भले ही कुछ लोगों के बीच लोकप्रिय हो, लेकिन इसे राजनीतिक रूप से सफल बनाने के लिए और भी रणनीतियों की जरूरत होगी। बिहार में शराबबंदी का समर्थन करने वाले लोगों की संख्या भी कम नहीं है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं इस प्रतिबंध का समर्थन करती हैं, क्योंकि इससे घरेलू हिंसा और अन्य सामाजिक समस्याओं में कमी आई है।
विपक्षी दलों ने प्रशांत भूषण के बयान को "चुनावी स्टंट" करार दिया है। बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा, "शराबबंदी का फैसला लोगों की भलाई के लिए लिया गया था, और इसे हटाने का कोई सवाल ही नहीं उठता। प्रशांत भूषण सिर्फ बेवजह के वादों से लोगों को गुमराह कर रहे हैं।"
प्रशांत भूषण का यह बयान बिहार की चुनावी राजनीति में कितना असर डालेगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। क्या वह वाकई "बेवड़ों के दम" पर अपनी सरकार बनाने में कामयाब हो पाएंगे, या यह सिर्फ एक और चुनावी वादा बनकर रह जाएगा? चुनाव के नतीजे ही इस सवाल का जवाब देंगे।