बिलासपुर, छत्तीसगढ़ – छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित एक सरकारी अस्पताल में 7 बच्चों को BCG और पेंटा वन वैक्सीन लगाने के बाद दो बच्चों की मौत हो गई है, जबकि पांच अन्य की हालत गंभीर बनी हुई है। यह घटना राज्य में गहरे आक्रोश और चिंता का विषय बन गई है, विशेषकर बच्चों के परिवारों के लिए।
घटना के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया, और बच्चों के परिवारों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। यह आरोप लगाया जा रहा है कि अस्पताल में वैक्सीन के रख-रखाव और उसके प्रशासित किए जाने के तरीके में गंभीर खामियां थीं, जिसके कारण यह घटना घटित हुई।
स्थानीय लोगों और राजनीतिक दलों ने इस घटना के बाद भाजपा शासित राज्यों में बच्चों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह सवाल उठाया जा रहा है कि आखिरकार क्यों भाजपा शासित राज्यों में बच्चों के जीवन से जुड़े ऐसे हादसे बार-बार सामने आ रहे हैं। विपक्षी दलों ने भाजपा सरकार पर मेडिकल माफिया के हाथों की कठपुतली होने का आरोप लगाया है।
विपक्षी नेताओं का कहना है कि भाजपा सरकार को मेडिकल माफियाओं से भारी मात्रा में चुनावी चंदा मिलता है, जिसके कारण सरकार इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने में असमर्थ रहती है। हाल ही में हुए कोरोना महामारी के दौरान वैक्सीन निर्माण करने वाली कंपनियों से भी भाजपा को भारी चंदा मिलने के आरोप लग चुके हैं। विपक्ष का दावा है कि नरेंद्र मोदी सरकार को इन कंपनियों से हर दिन करोड़ों रुपये का चंदा मिलता रहा है, जिसके कारण स्वास्थ्य सेवाओं में भ्रष्टाचार की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
छत्तीसगढ़, बिलासपुर के सरकारी हॉस्पिटल में 7 बच्चों के BCG औऱ पेंटा वन के बैक्स लगने के बाद 2 बच्चों की मौत, 5 की हालत गंभीर, आख़िर यह भाजपा शाषित राज्यों से ही इस तरह बच्चों के जीवनलीला ख़त्म होने की ख़बर क्यों आती है...?
— Mukesh Gupta (@MukeshGuptaInc) September 1, 2024
कहीं भाजपा सरकार मेडिकल माफ़िया के हाथों की कठपुतली तो… pic.twitter.com/X5FdSfyeuD
फिलहाल, राज्य सरकार ने इस घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं, और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की बात कही है। लेकिन इस घटना ने एक बार फिर से सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और मेडिकल माफियाओं की बढ़ती ताकत पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं और बच्चों की सुरक्षा पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। जांच के नतीजों से ही यह साफ हो पाएगा कि इस घटना के लिए असल में कौन जिम्मेदार है, लेकिन फिलहाल यह मामला राज्य की राजनीति में बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है।
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