प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण की है, और इस ऐतिहासिक क्षण की कुंडली वृश्चिक लग्न में बनी है। ज्योतिषीय दृष्टि से यह कुंडली संघर्ष, अवसर और चुनौतियों से भरी हुई है। शनि की चतुर्थ भाव में स्थिति और शशक महापुरुष राजयोग का बनना जहां कुछ क्षेत्रों में सफलता की ओर इशारा कर रहा है, वहीं राहु पंचम भाव में स्थित होकर कठिनाइयाँ बढ़ाने वाला साबित हो सकता है। आइए जानते हैं, इस कुंडली का प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
संघर्षपूर्ण रहेगा तीसरा कार्यकाल
नरेंद्र मोदी की इस कुंडली का विश्लेषण करने पर स्पष्ट होता है कि उनका यह कार्यकाल काफी संघर्षपूर्ण रहेगा। लग्नेश मंगल छठे भाव में स्थित है, जो एक ओर शत्रुओं पर विजय की ओर इशारा करता है, वहीं दूसरी ओर अत्यधिक संघर्ष की स्थिति बनाए रखता है। शनि की दृष्टि मंगल पर होने से यह स्पष्ट होता है कि सफलता मिलने में देरी होगी। विरोधियों की ओर से कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, और राजनीतिक विरोध में भी इज़ाफ़ा होगा।
अर्थव्यवस्था और पार्टी को मिलेगा लाभ
द्वितीय भाव का स्वामी सप्तम भाव में होने से भारत की अर्थव्यवस्था को सकारात्मक दिशा मिल सकती है। इस दौरान पार्टी का भी भरपूर सहयोग मिलेगा, जिससे सरकार को अपने निर्णयों में मजबूती मिलेगी। हालांकि, बुध और शुक्र के अस्त होने के कारण बड़े वादे और योजनाओं को पूरा करना चुनौतीपूर्ण होगा। कुछ निर्णयों के असफल होने से मोदी सरकार की छवि पर असर पड़ सकता है।
कानून में संशोधन की संभावनाएँ
चतुर्थ भाव में शनि की उपस्थिति शशक महापुरुष राजयोग बना रही है, जो पुराने कानूनों में संशोधन और नए कानूनों के निर्माण की ओर इशारा करता है। यह समय देश में अनुशासन की वृद्धि और अनैतिक गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। कानून में बदलाव देश के सामाजिक और राजनीतिक ढांचे पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
राहु बढ़ाएगा चुनौतियाँ
कुंडली के पंचम भाव में राहु की उपस्थिति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कठिन निर्णयों का कारण बन सकती है। शिक्षा के क्षेत्र में गलत निर्णयों से नुकसान होने की संभावना है। इसके साथ ही, जनसंख्या नियंत्रण जैसे मुद्दों पर कड़ा विरोध भी देखने को मिलेगा। राहु के इस प्रभाव से निर्णय लेने में कठिनाई हो सकती है, जो पार्टी के लिए चुनौतियां उत्पन्न कर सकता है।
विदेश नीति और आयात-निर्यात में सफलता
सप्तम भाव में सूर्य, बृहस्पति, बुध और शुक्र की उपस्थिति विदेश नीति में सफलता और आयात-निर्यात से लाभ का संकेत देती है। मोदी सरकार इस अवधि में विदेशों से अच्छे संबंध बनाने में सक्षम होगी, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा। बृहस्पति और सूर्य की स्थिति दर्शाती है कि मोदी की कैबिनेट के मंत्री अपने-अपने मंत्रालयों में प्रभावी ढंग से कार्य करेंगे।
धार्मिक भावनाओं का ध्यान
नवम भाव में स्वराशि का चंद्रमा स्थित है, जो देश में धार्मिक भावनाओं को सुदृढ़ बनाए रखने की ओर इशारा करता है। सरकार धर्म से जुड़े मुद्दों पर सतर्क रहेगी और सभी धर्मों का ध्यान रखेगी। धर्म आधारित राजनीति से दूर रहकर एकता और सौहार्द्र बनाए रखने का प्रयास किया जाएगा।
चुनौतियों से भरा 2026-27 का समय
इस कुंडली के अनुसार, 2026-27 का समय प्रधानमंत्री मोदी के लिए चुनौतियों से भरा रहेगा। जनता का समर्थन कम हो सकता है और सरकार के भीतर ही विश्वासघात की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। शनि की स्थिति से नरेंद्र मोदी को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ेगा, जिससे उनके कार्यों में रुकावटें आ सकती हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तीसरा कार्यकाल ज्योतिषीय दृष्टि से संघर्षपूर्ण और चुनौतीपूर्ण होगा। राहु और शनि का प्रभाव चुनौतियों को बढ़ाएगा, जबकि बृहस्पति और सूर्य की स्थिति आर्थिक और विदेश नीति में सफलता दिला सकती है। देश के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य पर यह कार्यकाल लंबे समय तक प्रभाव डालने वाला साबित हो सकता है।
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