नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर हाल ही में दीदी निर्देश सिंह नामक यूजर द्वारा X (पूर्व में ट्विटर) पर की गई एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रही है। इस पोस्ट में दीदी ने जातिगत आरक्षण और जातिवाद पर अपनी राय व्यक्त करते हुए एक वीडियो का उल्लेख किया है, जिसमें कुछ लोग अपने ही समुदाय के अधिकारों के खिलाफ प्रदर्शन करते नजर आ रहे हैं।
दीदी निर्देश सिंह ने लिखा, "वीडियो में ये वही लोग हैं जो कहते हैं सारे हिंदू एक हो जाओ। और ये अपने ही हिंदू भाइयों के अधिकारों का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतरे हैं। यही वो लोग हैं जो कहते हैं जातिवाद नहीं है, वही लोग जातिवाद की नफरत में नंगे होकर विरोध सड़कों पर तख्ती लेकर खुलकर कर रहे हैं।"
ये वही लोग हैं जो कहते हैं सारे हिन्दू एक हो जाओ ।
— Nirdesh Singh (@didinirdeshsing) September 3, 2024
और ये अपने ही हिन्दू भाइयो के अधिकारों का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतरे हैं,
यही वो लोग हैं जो कहते हैं जातिवाद नही हैं वही लोग जातिवाद की नफरत में नंगे होकर विरोध सड़को पर तख्ती लेकर खुलकर कर रहे हैं।
ये न तो मुस्लिम हैं न… pic.twitter.com/Bxa7CSIxyN
उन्होंने आगे कहा कि ये प्रदर्शनकारी न तो मुस्लिम हैं, न पारसी, न सिख, और न ही जैनी। बल्कि ये वही लोग हैं जो जाति जनगणना से डरते हैं। दीदी ने इस पोस्ट में आरक्षण की प्रासंगिकता पर भी सवाल उठाते हुए लिखा, "आरक्षण गरीबी के आधार पर नहीं, जातिगत भेदभाव के आधार पर है। जब तक जातिगत भेदभाव रहेगा, तब तक आरक्षण रहेगा।"
दीदी निर्देश सिंह की यह पोस्ट सोशल मीडिया पर बहस का मुद्दा बन गई है, जहां कई यूजर्स ने इसका समर्थन किया है, वहीं कुछ लोगों ने इसकी आलोचना भी की है। जातिगत आरक्षण और सामाजिक समानता जैसे मुद्दों पर यह पोस्ट एक बार फिर से देशभर में चर्चा का विषय बन गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि जातिगत जनगणना और आरक्षण जैसे संवेदनशील मुद्दे पर लोगों की राय में विभाजन देखा जा रहा है, जो समाज में गहराई से निहित जातिगत धारणाओं और भेदभाव को उजागर करता है। इस प्रकार की बहसें समाज में जागरूकता बढ़ाने और नीतिगत सुधारों की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं।
वहीं, दीदी निर्देश सिंह की इस पोस्ट ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या जातिगत आरक्षण को खत्म करने की मांग करना जायज है, जबकि समाज में अभी भी जातिगत भेदभाव की गहरी जड़ें बनी हुई हैं।