देश की संपत्ति में सामान्य वर्ग की हिस्सेदारी 89%, दलित समुदाय की सिर्फ 2.6%, फिर भी आरक्षण पर रोना क्यों?

देश की संपत्ति में सामान्य वर्ग की हिस्सेदारी 89%, दलित समुदाय की सिर्फ 2.6%, फिर भी आरक्षण पर रोना क्यों?

 मई 2024 में एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट ‘टुवर्ड्स टैक्स जस्टिस एंड वेल्थ री-डिस्ट्रीब्यूशन इन इंडिया’ शीर्षक के साथ प्रकाशित की गई, जो भारत में सामाजिक-आर्थिक असमानता की सच्चाई को उजागर करती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि देश की संपत्ति का 85% से अधिक हिस्सा ऊंची जातियों, विशेष रूप से सामान्य वर्ग के लोगों के पास केंद्रित है। इसके विपरीत अनुसूचित जाति (SC) के लोगों के पास केवल 2.6% संपत्ति है। ये आंकड़े साल 2022 तक के हैं और इन्हें वर्ल्ड इनइक्वेलिटी लैब द्वारा बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ साझा की गई रिसर्च से लिया गया है।

सामाजिक-आर्थिक असमानता की जड़ें  

यह रिपोर्ट इस ओर संकेत करती है कि भारत में सामाजिक-आर्थिक असमानता की जड़ें कितनी गहरी हैं। देश की कुल संपत्ति का अधिकांश हिस्सा बहुत कम लोगों के पास है, जो एक बड़ी चिंता का विषय है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के पास केवल 9% संपत्ति है, जबकि अनुसूचित जनजाति (ST) की स्थिति भी चिंताजनक है।

कुल संपत्ति में किस जाति की कितनी हिस्सेदारी है, इसे नीचे दी गई टेबल से समझ सकते हैं।

आदिवासी समुदाय से कोई अरबपति नहीं
सालऊंची जातियों की हिस्सेदारी (प्रतिशत में)ओबीसी (प्रतिशत में)दलित (प्रतिशत में)
201380.317.81.8
201478.120.01.9
201578.417.64.0
201679.716.83.5
201780.116.13.7
201881.714.44.0
201981.415.23.5
202084.311.64.1
202186.010.13.9
202288.49.02.6

जातिगत जनगणना की मांग  
रिपोर्ट के सामने आने के बाद हिस्सेदारी और भागीदारी का सवाल एक बार फिर राजनीतिक बहस का प्रमुख मुद्दा बन गया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनावों में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। उन्होंने कहा था कि यदि ‘इंडिया’ गठबंधन सत्ता में आता है, तो आर्थिक सर्वेक्षण के माध्यम से यह पता लगाया जाएगा कि किस जाति और समुदाय का देश के संसाधनों पर कितना अधिकार है। राहुल गांधी का कहना था कि देश की 90% आबादी SC, ST, OBC और अल्पसंख्यकों की है, लेकिन इन्हें विभिन्न क्षेत्रों में भागीदारी नहीं मिल रही है।


ऑक्सफैम की रिपोर्ट  
ऑक्सफैम इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट, जो वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में जारी की गई थी, ने भी इस ओर ध्यान आकर्षित किया था कि भारत में सबसे अमीर 1% लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का 40% से अधिक हिस्सा है। वहीं, देश की आधी आबादी के पास केवल 3% संपत्ति है। ऑक्सफैम ने यह भी बताया था कि यदि देश के दस सबसे अमीर लोगों पर 5% कर लगाया जाए, तो उससे मिलने वाले राजस्व से सभी बच्चों को शिक्षा दी जा सकती है।


नए अरबपति और ऊंची जातियों का प्रभुत्व  
रिपोर्ट के एक लेखक, पेरिस स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अनमोल सोमांची, का कहना है कि जो नए अरबपति बने हैं, उनमें से अधिकांश ऊंची जातियों से हैं। उनका मानना है कि जाति सामाजिक नेटवर्क, शिक्षा और स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है, जिससे सामाजिक असमानता बनी रहती है। उन्होंने यह भी कहा कि कई इलाकों में दलितों को जमीन का मालिक बनने का अधिकार नहीं है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हो पाता।


‘स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया 2023’ की रिपोर्ट  
अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी द्वारा जारी की गई ‘स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया 2023’ रिपोर्ट के अनुसार, भारत में SC और ST वर्गों के लोग अन्य समुदायों की तुलना में बहुत कम प्रतिष्ठानों के मालिक हैं। यह रिपोर्ट भी बताती है कि इन वर्गों के साथ सामाजिक और आर्थिक भेदभाव अभी भी जारी है, जिससे उनके लिए संसाधनों, शिक्षा और अवसरों तक पहुंच काफी सीमित है।
यह रिपोर्ट और इससे जुड़ी रिसर्च देश में मौजूद संपत्ति और सामाजिक असमानता की गंभीर स्थिति को उजागर करती हैं। आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए सुधारात्मक नीतियों और न्यायसंगत वितरण की मांग पहले से अधिक प्रासंगिक हो गई है।

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